जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
श्री अम्बेडकर पचीसा
दौहा
भारत के मध्य-देश प्रान्त,
इंदौर छावनी माहे ग्राम।
भीम राव का हुआ अवतरण,
एप्रिल-14,18सौ 91के दरमियान।।
भीमा बाई जननी उनकी,
राम जी राव थे जनक महान।
स्वदेश संविधान की रचना कर,
लोकतंत्र का दिये विधान।।
चौपाई
विधि-विधान ज्ञान गुन सागर,
विधिक-ईश विधि लोक उजागर।
न्याय-दूत अतुलित बुद्धिधामा,
भीमा बाई पुत्र वतन-सुत नामा।
तुम उपकार राष्ट्र पर कीन्हा,
विधि बनाइ स्वदेशहि दीन्हा।
मातु भीमा बाई सुधर्म विभूति,
विनय सद्द्भाव की साक्षात मूर्ती।
श्यामल वरन माथ अल्प केशा,
न्याय की मूर्ति कानूनविद भेषा।
हाथ विधि-बज्र नयन चश्मा विराजै,
काली कोट लेखनी साजै।
देखि स्कूलहिं छुआ-छूत अतिताई,
पंक्ति त्यागि शुरू कीन्हि पढ़ाई।
ज्योतिबा फूले सयाजी राव के हांथे,
हुआ मार्गदर्शन पहुंचे गये माथे।
विधि के सुवन भारती नन्दन,
बुद्धि प्रताप महा जगवंदन।
विधि विधान गुनी अति चातुर,
संविधान रचने को आतुर।
सूक्ष्म रूप प्रारूप बनावा,
वृहद रूप संविधान रचावा।
भीम रूप धरि छुआ-छूत संहारे,
विधि-प्रारूप का काज सँवारे।
विधिक-वीर न्याय प्रिय अंगी,
कुमति निवारि सुमति के संगी।
विधि-सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना।
दुर्गम विधि-काज भरत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
तुम्हरो मंत्र-विधी जन माना,
न्यायेश्वर भये सब जग जाना।
लाई नव-जीवन सम्मान दिलाए,
दलित समाज हर्षित उर लाये।
तुम सम रामहि दलित समाजा,
जिनके काज शकल तुम साजा।
दलित समाज कीन्हि बहुत बड़ाई,
बहुजन प्रिय सम प्रभुहिं दुहाई।
बृहद विसमता दूर करि ताहीं,
सम्यक रूप दिए अचरज नाहीं।
न्याय दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु न्याय सहारे।
समग्र वतन तुम्हरो जस गावै,
बाबा साहेब कहि नाम बुलावै।
शोषित दलितहिं कृपानिधानू,
लील्यों भेद-भाव अपमानू।
अमर भीम जिन्दाबाद विधाना,
जिन्दाबाद न्याय न्याय के धामा।
जय जन-तंत्र,जय विधान तंत्र |
लेखक : विजय मेहंदी,जौनपुर (उ.प्र.)किसी भी कार्यक्रम को लाइव दिखाने के लिए संपर्क करें - 9214996258,7014468512.





