जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
जीवन की बहती धारा में,मनुज तू नव उत्कर्ष मनाता चल,
पुरुषार्थ को नवजागृत करके,तू सदकर्म पथ बनाता चल।
न विस्मृत न दिगभ्रमित हो,भरतवंशी संस्कार समाता चल,
रामकृष्ण के आदर्श अपनाले,युवाओं को राह दिखाता चल।
योग,वैद,विज्ञान आत्मसात तू करले,नूतन वर्ष मनाता चल,
घोर युद्ध उन्माद जग में फैला है,उसको आज मिटाता चल।
शांतिदूत बना भारत को,भारतीय को विश्वगुरु बनाता चल,
कुटिलता को जग से समाप्त कर, तू समरसता फैलाता चल।
स्वस्थ चिंतन व सदाचार से, मानव को पथ दिखलाता चल,
कलुष काल को कर परास्त तू ,स्नेह पताका लहराता चल।
शांति,प्रेम,समृद्धि जग में छाजाए,सुंदर भुवन सजाता चल,
जीवन पथ आलोकित कर दे,सौहार्द सुमन खिलाता चल।
नववर्ष का करके अभिनंदन,सुंदर मुस्कान बतलाता चल।
लेखक : राजेन्द्र आचार्य राजन, भवानीमंडी
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