नवरात्रि के छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) नवरात्रि के छठे दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अंत्यत भव्य और चमकीला है।मां की चार भुजाएं हैं और मां का वाहन सिंह है। मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल का पुष्प सुशोभित है। मां की पूजा से भक्तों के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में मां प्रतिष्ठित हैं।

भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए ब्रज की गोपियों ने मां कात्यायनी की उपासना की थी। मां कात्यायनी की उपासना से किसी प्रकार का भय नहीं रहता। मां की कृपा से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं। मां दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने का आशीर्वाद देती हैं।मां कात्यायनी की उपासना से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां के आशीर्वाद से विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविन्द्राचार्य से मां कात्यायनी की पूजा-विधि,स्तुति और आरती

मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। मां कात्यायानी को गुड़हल या लाल रंग का पुष्प अर्पित करें। मां की आरती करें। मां कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है। पूजा के समय लाल रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।

मां कात्यायनी पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।

मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।

मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।

मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।

मां को रोली कुमकुम लगाएं।

मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।

मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।

मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।

मां की आरती भी करें।

मां कात्यायनी की आरती

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को 'चमन' पुकारे

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

मां कात्यायनी स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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