जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
चौमूं / जयपुर (संस्कार सृजन) अंजनी हनुमान धाम में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर रैवासा धाम के वेदांती डॉ. स्वामी राघवाचार्य को श्रद्धांजलि दी |सभा की अध्यक्षता कर रहे मंहत महा मंडलेश्वर हरि कृष्ण दास ग्वालिया ने बताया कि महाराज का बचपन से ही आध्यात्मिक की ओर बड़ा झुकाव था। इसी कारण से वह संत समागम की ओर बढ़ते गए।
वेदांत की शिक्षा पूरी करने के बाद 25 फरवरी 1984 को जानकीनाथ बड़ा मंदिर अग्रदेवाचार्य रैवासा पीठ के पीठाधीश्वर पद पर आसीन हुए। सदैव सामाजिक, धार्मिक, पर्यावरण सुधार आदि के कार्यों को गति व नई दिशा देने का काम किया। शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने राजस्थान में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई, जो भारतीय संस्कृति के लिए बहुत बड़ी सौगात बनी। महाराज ने गौ सेवा के लिए हमेशा कार्य करते हुए आमजन को प्रेरित किया। जिसका नतीजा है कि क्षेत्र में अनेक गौशालाओं का निर्माण हुआ। ऐसे में महाराज के जीवन से प्रेरणा लेकर देशहित में कार्यों को आगे बढ़ाना होगा। तभी महाराज को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित होगी
सुरेश शास्त्री ने कहा कि स्वामी डॉ. राघवाचार्य महाराज का जीवन गायों और प्राणियों की सेवा के व्यतित हुआ है। उन्होंने अपने जीवन काल में प्रदेशभर में अनेक गोशालाओं का निर्माण करके गोशालाओं को अनेक तरह के उत्पाद के साथ आत्मनिर्भर बनाया। जिसकी नतीजा है कि वर्तमान में गोशालाओं के कुशल संचालन से गायों को सुविधाएं मिल रही है। साथ ही बच्चों के लिए शिक्षण संस्थान, संस्कृति शिक्षा को बढ़ावा देने, क्षेत्र के विकास आदि कार्यों में उनका बहुत बड़ा सराहनीय योगदान रहा है। इस योगदान से महाराज अजर अमर हुए है। ऐसे में आमजन को उनके पद चिह्नों पर चलकर गायों और आमजन की सेवा करनी चाहिए।
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