सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
दिखाकर बोझ पेंशन का,
हटाया जा नहीं सकता।
मिले तुमको पुरानी तो,
हमें भरमाया जा नहीं सकता।।
एन पी एस को मेरे यारों,
लाया जा नहीं सकता।
यू पी एस को मेरे यारों,
अपनाया जा नहीं सकता।।
एक-एक दिन शपथ ले तुम,
जूनी तीन-तीन भुनाते हो।
जीवनभर मेरी सेवा को,
तुम ठेंगा दिखाते हो।
जीवनभर मेरी सेवा को,
तुम ठेंगा दिखाते हो।।
सहारा ये बुढ़ापे का,
हटाया जा नहीं सकता।
बहाने यू पी एस के ये,
हटाया जा नहीं सकता।
पुरानी पेंशन को यारों,
गंवाया जा नहीं सकता।
पुरानी पेंशन को यारों,
गंवाया जा नहीं सकता।।
दिखाकर बोझ पेंशन का,
हटाया जा नहीं सकता।
विजय बंधु के विजयरथ को,
रुकवाया जा नहीं सकता।
पुरानी पेंशन को यारों,
गंवाया जा नहीं सकता।।
लेखक - विजय मेहंदी, जौनपुर(उ.प्र.)
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