जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
सागर (संस्कार सृजन) बेटियां अपनी उपलब्धियों और जिम्मेदारियों से साबित करती रही हैं कि वे किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के सागर में एक वाकया सामने आया है जिसने बेटे बेटियों में अंतर करने के दकियानूसी विचारों पर तगड़ी चोट की है। सागर जिले में 9 बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए दिवंगत पिता को मुखाग्नि दी। इस घटना की चर्चा आस-पास के इलाकों में हो रही है। इन बेटियों ने बेटों की तरह ही अर्थी को कंधा दिया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वार्ड क्रमांक 17 के 10वीं बटालियन क्षेत्र के निवासी हरिश्चंद्र अहिरवार की ब्रेन हेमरेज के कारण मृत्यु हो गई थी। वह पुलिस एएसआई थे। उनका कोई बेटा नहीं है, केवल 9 बेटियां ही हैं। ऐसे में पिता के निधन के बाद उनके दाह संस्कार करने की चुनौती सामने आई। बेटियों ने फैसला लिया कि वे मिलकर इस फर्ज को निभाएंगी।
बेटियां पिता की अर्थी के साथ मकरोनिया के मुक्तिधाम की ओर निकलीं। बेटियों ने हिंदू रीति रिवाज से विधि विधान से पिता का अंतिम संस्कार किया। लोग इस नजारे को देखकर भावुक नजर आए। बताया जाता है कि हरिश्चंद्र ने बेटों की तरह ही अपनी सभी बच्चियों की परवरिश की। पिता ने 7 बेटियों की शादी कर दी थी। बेटियों ने पिता की अर्थी को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कंधा भी दिया।
परिवार की दो बेटियों रोशनी और गुड़िया की शादी अभी नहीं हो पाई है। बेटी वंदना ने कहा- हमारा कोई भाई नहीं है। इस वजह से सभी छोटी-बड़ी बहनों अनीता, तारा, जयश्री, कल्पना, रिंकी, गुड़िया, रोशनी और दुर्गा ने मिलकर पिता का अंतिम संस्कार किया। पिता सभी बेटियों से स्नेह रखते थे। इन बेटियों की ओर से पिता का दाह-संस्कार करने की घटना की चर्चा हो रही है।
किसी भी कार्यक्रम को लाइव दिखाने के लिए संपर्क करें - 9214996258,7014468512.
बहुत जरूरी सूचना :- रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !
हमसे जुड़े :-