जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
रतननगर (संस्कार सृजन) कस्बे के न्यू हीरोज खेल स्टेडियम में पतंजलि योग पीठ की तहसील इकाई द्वारा वसुधैव कुटुंबकम की थीम पर अंग्रेजी नववर्ष मनाया गया। पतजंलि योग पीठ हरिद्वार के चूरू तहसील प्रभारी एवं शेखावाटी जनपद के जाने-माने योगाचार्य व राजकीय लोहिया कोलेज के योग कांउसलर योगाचार्य शंकरलाल सैनी के सानिध्य में योगाभ्यास हुआ। कस्बे के गणमान्यजन, योग प्रेमी, क्लब के खिलाडी, नारी शक्ति टीम, महिलाएं व छात्राएं इस आयोजन में शामिल हुए।
नारी शक्ति टीम अध्यक्ष संतोष परिहार के नेतृत्व में महिलाओं ने योग शिविर में हिस्सा लिया। पतंजलि के पदाधिकारी विजय गोठवाल नेे योग के महत्व पर प्रकाश डाला। अन्य वक्ताओं में किरोड़ीमल मीणा, संपतलाल तंवर, शिवकुमार गोस्वामी आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
नारी शक्ति के सम्मान के लिए मंजू गोठवाल ने नारी शक्ति टीम अध्यक्ष संतोष परिहार का माल्यार्पण कर स्वागत किया, इसी क्रम में सूर्यप्रकाश स्वामी, जगदीशप्रसाद नायक, शिवकुमार गोस्वामी, मोहनलाल प्रजापत, महावीरप्रसाद झिकनाडिया, राधेश्याम कटारिया, शिव भगवान सैनी आदि ने मेहमानों का स्वागत किया।
संतोष परिहार, मंजू गोठवाल, विजयलक्ष्मी गोठवाल, आची देवी, अनू जालान, रतनी देवी, कमला, रेखा, संगीता आदि ने योगाभ्यास किया। योगाचार्य शंकरलाल सैनी ने कहा कि योग ऋषियों द्वारा प्रदत भारत की अमूल्य धरोहर है यह गत हजारों साल से भारतीयों की जीवन शैली का हिस्सा रहा है। योग साधना और तपस्या प्रत्येक मनुष्य की आध्यात्मिक आवश्यकता है। उसका नित्य नियम में उसी प्रकार समावेश रहना चाहिए जैसा कि आहार और निद्रा का नित्य दैनिक जीवन में सुनिश्चित स्थान रहता है। मन को परिष्कृत करना ही योग की साधना है और शरीर को अनुशासित करने की क्रिया तप कहलाती है ।
योगाचार्य शंकरलाल सैनी ने कहा कि हमारे ऋषि मुनि कह गए है कि पहला सुख निरोगी काया अर्थात् सांसारिक सुखों में उतम स्वास्थ्य ही सर्वोपरी है जीवन में इसी सूत्र को ध्येय बनाकर आइये हम सब अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें योग व यज्ञ को अपनावें।
योगाचार्य शंकरलाल सैनी ने योगसाधकों को हाथों की कलाई की आदि सूक्ष्म क्रियाएं, ग्रीवा संचालन, कटि संचालन, घुटना संचालन एवं खड़े होकर करने वाले आसनों में तिर्यक आसन, ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्ध चक्रासन, त्रिकोणासन, आदि आसन के बाद बैठकर किए जाने वाले आसनों में भद्रासन, बटरफ्लाई, वज्रासन, उत्तान मंडूकासन, मंडूकासन, शशका आसन, अर्ध उष्ट्रासन, वक्रासन, आदि आसान। तथा पीठ के बल व पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों के बाद आठ चक्रों और भस्त्रिका, अग्निसार, अनुलोम विलोम, कपालभाति, भ्रामरी, उदगीथ आदि प्राणायाम का अभ्यास कराया। प्रत्येक आसन, प्राणायाम तथा मुद्रा का उपयोग बताते हुए प्रशिक्षणार्थियों को अपने जीवन में उतारकर स्वस्थ जीवन जीने के लिये प्रेरित किया।
योग शिविर में प्रशिक्षणार्थियों ने पौधे लगाकर धरा को हराभरा बनाने व यज्ञ करके पर्यावरण को बचाने व नियमित योग करने का संकल्प लिया। अंत में शंकरलाल सैनी ने आगंतुक मेहमानों का आभार जताया।
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