आज से शुरू हुआ श्राद्ध पक्ष दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए सौलह दिन तक होंगे तर्पण श्राद्ध भोजन के कार्य

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

चौमूं / जयपुर (संस्कार सृजन) भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक चलने वाले पितृ पक्ष की शुरुआत आज शुक्रवार से हुई ।14 अक्टूबर शनिवार तक चलने वाले इस श्राद्ध पक्ष में आज शुक्रवार को पूर्णिमा व प्रतिपदा दो तिथियों का श्राद्ध निकलेगा।

पं.सुदर्शन शर्मा ने बताया कि इस पितृपक्ष में निकलने वाले श्राद्ध पार्वण श्राद्ध कहलाते हैं एवं पार्वण श्राद्ध निकालने के लिए अपराह्न व्यापिनी तिथि होना जरूरी है।पंचांग के अनुसार इस श्राद्ध पक्ष में अपराह्न काल का समय दोपहर 1:28 से शाम 3:50 तक रहेगा। इस समय के अनुसार कल शुक्रवार को पूर्णिमा दोपहर 3:27 तक रहेगी। अत: पूर्णिमा का श्राद्ध  3:27 तक एवं इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो अपराह्न काल को स्पर्श कर रही है एवं दूसरे दिन रविवार को इस अपराह्न काल से पूर्व ही दोपहर 12:22 पर समाप्त हो जाएगी। दूसरे दिन रविवार को प्रतिपदा अपराह्न व्यापिनी नहीं रहने के कारण प्रतिपदा का श्राद्ध भी कल शुक्रवार को ही 3:27 से 3:50 के मध्य के समय में ही निकलेगा।इसके बाद द्वितीया तिथि का श्राद्ध 30 सितंबर शनिवार,तृतीया का श्राद्ध 1अक्टूबर रविवार,चतुर्थी का श्राद्ध सोमवार 2 अक्टूबर,पंचमी का श्राद्ध मंगलवार 3 अक्टूबर,षष्टी का श्राद्ध बुधवार 4 अक्टूबर,सप्तमी का श्राद्ध गुरुवार 5 अक्टूबर को निकलेगा।इसके बाद 6 अक्टूबर शुक्रवार को अष्टमी, 7 अक्टूबर शनिवार को नवमी,8 अक्टूबर रविवार को दशमी,9 अक्टूबर सोमवार को एकादशी,10 अक्टूबर मंगलवार को मघा श्राद्ध निकलेगा। इसके बाद 11 अक्टूबर बुधवार को द्वादशी, 12 अक्टूबर गुरुवार को त्रयोदशी,13 अक्टूबर शुक्रवार को चतुर्दशी,14 अक्टूबर शनिवार को अमावस्या का श्राद्ध निकलेगा।

पं.सुदर्शन शर्मा ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में  सात्विक रहते हुए अपने पूर्वजों के लिए तर्पण आदि कार्य करने चाहिए।श्रीमद् भगवत गीता,श्रीमद्भागवत, गजेंद्र मोक्ष,विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र,वाल्मीकि सुंदरकांड के पाठ का पठन व श्रवण करना विशेष फलदायी रहता है। श्राद्ध पक्ष में अपने परिवार की कुल परंपराओं के अनुसार श्राद्ध निकालना चाहिए। श्राद्ध भोजन पाने वाले योग्य व्यक्ति को घर पर आमंत्रित कर व सुविधा अनुसार मीठा भोजन बनाकर सम्मानपूर्वक भोजन परोसना चाहिए। भोजन करने वाले व्यक्ति द्वारा संतुष्टि पूर्वक भोजन कर लिए जाने तक समीप बैठकर अपने पूर्वजों का ध्यान करते रहना चाहिए। श्रद्धा पूर्वक किया गया श्राद्ध कर्म दिवंगत पूर्वजों की आत्मा को संतुष्टि प्रदान करता है।

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