35 वां अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या दिवस विशेष

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) आज संपूर्ण विश्व 35 वां अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित थीम "देश में लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना" के साथ मना रहा है ताकि हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को अनलॉक करने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज को ऊपर उठाया जा सके ।  इस अवसर पर विश्व की आधी आबादी मातृशक्ति को सशक्त बनाने के लिए हम सबको आगे आने की जरूरत है । आंकड़ों के आधार पर विश्व की वर्तमान आबादी 8 अरब को पार कर चुकी है और अकेले भारत में यह आबादी लगभग डेढ़ अरब को स्पर्श कर  चुकी है । जिससे मानव प्रजाति के लिए रहने योग्य एकमात्र ग्रह पृथ्वी पर असंतुलन की स्थिति पैदा हो रही है और निरंतर प्राकृतिक आपदाओं तथा महामारियो का सामना करना पड़ रहा है । जनसंख्या के आंकड़े गुणात्मक रूप से बढ़ने के कारण मानव जातियों के मध्य अपने हक एवं अधिकारों के लिए प्रकृति के साथ-साथ जातीय संघर्ष देखने को मिल रहे हैं ।

जातिगत जनगणना देश में 1931 में अंतिम बार हुई थी उसके बाद में मंडल कमीशन की रिपोर्ट में ओबीसी की जातियों को लेकर 52% देश में होने का अनुमान लगाया गया था उसके बाद में समय और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों समाज सुधारक समाज चिंतक सिविल सोसाइटी शादी की निरंतर प्रयास करने के परिणाम स्वरूप 2011 की जनगणना में जातिगत जनगणना हुई थी उस जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने से पहले सत्ता परिवर्तन होगी उसके बाद में जातिगत जनगणना के आंकड़े आज तक सार्वजनिक नहीं किए थे उसमें कई प्रकार की खामियों का हवाला देते हुए उसके सुधार की बात कही गई उसके लिए कमीशन भी बनाए जाने के सदस्य आज तक नहीं हुए क्या काम किया इसके बारे में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।


देश में जातिगत जनगणना की मांग अब धीरे-धीरे राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है इसके बहुत से कारण है पिछले लंबे समय से देश में ओबीसी व अन्य वर्गों की जातिगत जनगणना की मांग बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश के नेताओं द्वारा उठाए जा रहे थे लेकिन अब यह मांग प्रदेश व्यापी बनती जा रही है इसमें पिछले 2 साल से राजस्थान में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ की थी इसके माध्यम से ओबीसी को रिजर्वेशन सुनने हो गया था और सरकारी नौकरी में ओबीसी आरक्षण का राजस्थान की युवाओं को नहीं मिल रहा था इस विसंगति को सुधारने के लिए राजस्थान में ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति का गठन किया गया जिसकी जिला प्रदेश और विधानसभा स्तर पर टीमें बनाएगी इन सब का नेतृत्व राजस्थान की पूर्व कैबिनेट मंत्री वर्तमान पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी जी के द्वारा किया गया उन्होंने प्रदेश के युवाओं का नेतृत्व किया इस नेतृत्व में रामसिंह सामोता, राजेंद्र कड़वासरा, योगेश यादव, मोहसिन खान, सुनील चौधरी, दान चारण राजाराम मील, करण सिंह यादव, बलजीत यादव, आदि लोग शामिल रहे।

ओबीसी ओबीसी आरक्षण विसंगति आंदोलन में राजस्थान में हरीश चौधरी जी द्वारा 2 साल से ओबीसी आरक्षण बढ़ाने और ओबीसी की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण व्यवस्था को लेकर पहल की गई जातिगत जनगणना की बात राजस्थान में पिछले 2 साल से उठाई जा रही है हरीश चौधरी की राहुल गांधी जी से अच्छे तालुकात हैं उसी का परिणाम है कि राहुल गांधी के द्वारा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी सिधारी का नारा दिया गया और जातिगत जनगणना की बात को प्रमुखता से रखा जिसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जातिगत जनगणना करवाने के लिए पत्र भी लिखा राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्र लिखा छत्तीसगढ़ झारखंड हिमाचल कर्नाटक तमिलनाडु तेलंगाना की मांग प्रमुखता से हो रही है ।

जातिगत जनगणना क्यों :-

सबसे आज सबसे बड़ा सवाल है की जातिगत जनगणना क्यों क्यों की जातिगत जनगणना होने से देश में किस जाति के कितने लोग हैं किस वर्ग के कितने लोग निवास कर रहे हैं जितनी हिस्सेदारी उतनी भागीदारी का नारा इसलिए दिया गया है कि देश की विकास की जितनी भी योजनाएं बन रही है उन योजनाओं का निर्माण उस जाति और उस वर्ग और उस पृष्ठभूमि के लोगों के अनुसार बनाया जाएगा तो उससे वर्ग जाति और प्रश्नों में के लोगों का विकास होगा और जब व्यक्ति का विकास होगा तो क्षेत्र का विकास होगा प्रदेश का विकास होगा राष्ट्र का विकास होगा क्योंकि कोविड-19 हमारे के दौरान देखने को मिल रहा है कि आज गरीब और अमीर के बीच खाई बढ़ती जा रही है और इस खाई को कम करने का एकमात्र उपाय है कि जातिगत जनगणना हो उसके अनुसार योजनाएं बने और उसके अनुसार उसका बजट का आवंटन हो योजनाओं का क्रियान्वयन हो जिससे सामाजिक समानता हो सामाजिक पिछड़ापन दूर हो और एक सामाजिक न्याय की अवधारणा विकसित हो संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की पालना हो मूल अधिकार मूल करते हुए की पालना हो आदि समस्याओं का और आदि चीजों को साथ लेकर विकसित भारत के सपनों को साकार करने का जो सबसे मूल एजेंडा है वह जातिगत जनगणना सही साबित हो सकता है

शिक्षाविद कैलाश सामोता ने कहा कि जातिगत जनगणना होने से जिसकी जितनी आबादी होगी, उसकी उतनी हिस्सेदारी भी होगी । वही सरकार की योजनाओं को आबादी के अनुसार कानून बनाने और लागू करने से देश के विकास में आमूलचूल परिवर्तन होगा, जिससे सामाजिक न्याय और सर्वांगीण विकास के साथ विकसित भारत के सपने को साकार करने में हम सफल होंगे। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

लेखक : शिक्षाविद कैलाश सामोता 

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