जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
जयपुर (संस्कार सृजन) विश्वभर के लोगों के बीच पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों जैसे जलवायु परिवर्तन, ब्लैक होल इफेक्ट, ग्रीन हाउस इफेक्ट, ग्लोबल वार्मिंग, पृथ्वी के परिस्थितिक तंत्र में असंतुलन, समुद्र जल स्तर में वृद्धि, ऋतु समय चक्र परिवर्तन, भोम जल स्तर में गिरावट, वृक्ष विनाश, प्लास्टिक के बेतहाशा प्रचलन, कृषि में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अनियंत्रित प्रयोग, प्राकृतिक जल स्रोतों के अस्तित्व को आए संकट, शुद्ध पेयजल व कृषि जल की किल्लत, जैव विविधता पर मंडरा रहे खतरे, कचरा निस्तारण, वायु, जल, मृदा, ध्वनि तथा इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण के खतरो आदि संवेदनशील मुद्दों पर जागरूक करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से 5 जून 2023 को 51 वां विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं । वर्ष 2023 के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "सॉल्यूशन टू प्लास्टिक पॉल्यूशन" अर्थात "प्लास्टिक प्रदूषण से समाधान"रखी गई है ताकि प्रकृति को प्लास्टिक मुक्त बनाकर पर्यावरण का सरंक्षण हो सके।
पर्यावरण संरक्षण, हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी :-
वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को तेजी से नुकसान पहुंचाया जा रहा है और आंकड़े बताते हैं कि प्रकृति के साथ हो रहे इस खुल्लम खुल्ला खिलवाड़ का क्रम यूंही चलता रहा तो आगामी 25 वर्षों में पृथ्वी गृह के साथ-साथ प्राणी मात्र का भी अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा । ब्रह्मांड में एकमात्र मानव के रहने के लिए योग्य ग्रह पृथ्वी पर मानव की ही अमानवीय गतिविधियों ने इसके अस्तित्व को संकट में डाल दिया है । पृथ्वी की गोद में छुपे प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक व अवैधानिक दोहन के चलते, पृथ्वी ग्रह की के सीने को छलनी कर दिया है । परिणामस्वरूप पृथ्वी पर पाई जाने वाली समस्त प्राणी जाति और वनस्पति जाति अर्थात जैव विविधता के अस्तित्व के लिए भी संकट खड़ा कर दिया है । सर्वे रिपोर्टों से संकलित आंकड़ों के अनुसार 10 करोड पेड़ प्रतिवर्ष विश्वभर में काट दिए जाते हैं और अनगिनत लीटर अमूल्य जलनिधि को व्यर्थ ही बहा दिया जाता है जिसके कारण आज धरा पर शुद्ध प्राणवायु और शुद्ध पेयजल का घोर संकट आ खड़ा हुआ है । इसलिए हमें प्रकृति की रक्षा हेतु सघन वृक्षारोपण कर, इसकी "हरीतिमा की चादर" को चौड़ी करना है तथा अपनी दोहन की परिवर्तित को त्यागकर प्रकृति के रक्षण और संरक्षण आधारित विकास के मॉडल को अपनाना होगा । क्योंकि प्रकृति हमें देती है सब कुछ, हम भी इसे कुछ देना सीखे । प्रकृति के संरक्षण में ही जीव मात्र की रक्षा संभव है इसलिए इसका संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है ।कैलाश सामोता
प्रकृति एवं प्राकृतिक जल स्रोतों पर अतिक्रमण चिंताजनक :-
प्रकृति एवं प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण से ही भारतीय संस्कृति सुरक्षित है । धर्म ग्रंथों के आधार पर पर्यावरण संरक्षण के लिए नदी, तालाब, बावड़िया, वृक्ष, पहाड़, पशु, पक्षी, सहित सभी प्राकृतिक संसाधन प्रकृति के रक्षक की भूमिका में होते हैं । लेकिन, दुर्भाग्य है कि मानव की लालची, लोभी और उपभोगवाली प्रवृत्ति ने इन प्राकृतिक जल स्रोतों को मर्णाशन पर लाकर छोड़ दिया है । धरा की वनस्पति एवं प्राणी जातियों को जल उपलब्ध कराने वाले ये पवित्र व पूजनीय प्राकृतिक जल स्रोत खुद पानी के लिए तरस रहे हैं तथा इन्हें औधोगिक इकाइयों की शरणस्थली व कचरागाहो में तब्दील कर दिया गया है। इन प्राकृतिक जल स्रोतों के अस्तित्व को बचाने के लिए, शासन प्रशासन तथा आमजन को मिलकर सकारात्मक मुहीम छेड़ने अथवा आंदोलन खड़ा करने की सख्त जरूरत है तथा इनके जलभराव एवं प्रवाह क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्तकर, सघन वृक्षवर्धन कर, यहां हरीतिमा की सगन चादर बिछाने की जरूरत है। इस प्रकृति हितकारी पवित्र कार्य के लिए चाहे शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अथवा जल, जंगल एवं जमीन को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई ही क्यों नहीं लेनी पड़े, लड़ी जानी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इन प्राकृतिक जल स्रोतों से रूबरू कराया जा सके ।
तरुण जन कल्याण संस्थान, जयपुर का अभिनव "पर्यावरण रक्षण अभियान" जारी :-
मरू प्रदेश के जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में विगत 21 वर्षों से कार्यरत सामाजिक एवं पर्यावरण हितकारी संस्थान तरुण जनकल्याण संस्थान, जयपुर की ओर से अब तक क्षेत्र में लाखों पौधों का रोपण और वितरण कर प्रकृति रक्षण का संदेश दिया है । राजस्थान पर्यावरण गुरु सम्मान से सम्मानित संस्थान के संस्थापक एवं पर्यावरणविद् शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा नए वर्ष 2001 से शाहपुरा उपखंड के रानीपुरा मुरलीपुरा गांव में हर घर एक एक पौधे का रोपण व वितरण का अभियान चलाकर क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चलाई ।
शाहपुरा फंड के आधिकांश गांवो में राहगीरों के लिए शीतल जल मंदिर लगवाना, बेजुबान परिंदों के लिए परिंडे बांधना, क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे जोहड़ो, नाडियो, गोचर भूमियो, बावडीयों,नदियों के संरक्षण एवं उन पर हुए अतिक्रमण के प्रतिरोध सहित अरावली पर्वत श्रंखला पर हो रहे अवैध खनन तथा अमरसरवाटी क्षेत्र में अवैधानिक रूप से संचालित ईट भट्टा उद्योग और उनसे निकलने वाले जहरीले धूएं के दुष्प्रभाव से आमजन, जीव जंतुओं तथा वनस्पतियों को बचाने सहित राज्य वृक्ष खेजड़ी और राज्य पशु ऊंट के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है । पर्यावरणविद शिक्षक कैलाश सामोता ने क्षेत्र की शिक्षा एवं खेल प्रतिभाओं के प्रोत्साहन के लिए सतत रूप से मेधा मान प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिनमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए स्मृति स्वरूप उन्हें गमलों में लगा पौधा वितरित किए जाने परंपरा की अभिनव परंपरा आरंभ कर रखी है । वही क्षेत्र में आयोजित विभिन्न वैवाहिक शादी समारोहों में वर वधू को आशीर्वाद स्वरूप स्मृति स्वरूप पौधा भेंट करना, बेटा बेटी के जन्मोत्सव, विदाई व अंतिम विदाई कार्यक्रमों गमलों में लगा प्रकृति रक्षण का सूचक पौधा भेंट कर तथा शिक्षण संस्थाओं में नव प्रवेशित बालक बालिकाओं द्वारा विद्यालयों में पौधारोपण की परंपरा की पहल करवाई जा रही है । इतना ही नहीं अपने राजकीय सेवा में जन कल्याण संस्थान के संस्थापक सामोता ने राजकीय शिक्षक की भूमिका निभाते हुए गुजरात और महाराष्ट्र से पौधे लाकर विगत 6 वर्षों में मेवाड़ के राजसमंद जिले के सभी उपखंडो कुंभलगढ़, आमेट, राजसमंद, नाथद्वारा, रेलमगरा, देलवाड़ा, खमनोर, भीम, देवगढ़, सहित उदयपुर जिले के विभिन्न उपखंड क्षेत्रो में विभिन्न भामाशाह उनको प्रेरित कर अब तक लगभग 1,25,000 (सवा लाख) पौधों का वितरण और रोपण करवाया जा चुका है ।
सामोता को मिल चुका मेवाड़ की माटी से "राजस्थान पर्यावरण गुरु सम्मान" :-
पर्यावरणविद गणित विज्ञान शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा द्वारा राजसमंद जिला कलेक्टर कार्यालय कैंपस, पुत्र बलिदान के लिए विश्वप्रसिद्ध महाबलिदानी मां पन्नाधाय की स्मृति में बने पैनोरमा (कमेरी) आमेट, कुंभलगढ़ उपखंड कार्यालय, दर्जनों मंदिरों और सैकड़ों शिक्षण संस्थानों में पौधारोपण कर संपूर्ण प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने का कार्य जारी रक्खा हुआ हैं । शिक्षक ने अपने प्रकृति प्रेम को परिलक्षित करते हुए विगत 6 शिक्षण सत्र में ही अब तक राजसमंद जिले के 5 उपखंडों 3 कार्यकयो व 9 राजकीय विद्यालयों में इको फ्रेंडली वातावरण निर्मित कर प्रेरक करती हितकारी कार्य किए हैं । जिनमें वर्षा जल संरक्षण, शुद्ध पेयजल हेतु आवश्यक आर ओ उपकरण, किचन गार्डन, औषधीय, सजावटी, छायादार एवं फलदार पौधों का रोपणकर व हर घर एक एक पौधा वितरण करवाए है।
जैव विविधता के लिए खतरा बन चुकी खतरनाक खरपतवार जूली फ्लोरा(विलायती बबूल), गाजर घास (चटक चांदनी) व लेंटाना हटाना कैमारा(गैंदी/पामनी) के उन्मूलन की मुहिम जारी :-
पर्यावरणविद शिक्षक सामोता के प्रयासों से राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ जिलाधीश का सम्मान प्राप्त कर चुके, युवा व्यक्तित्व अरविंद कुमार पोसवाल तथा अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार गढ़वाल, राजसमन्द के कार्यकाल में विश्वदाई विरासत ऐतिहासिक कुंभलगढ़ दुर्ग में प्लास्टिक प्रतिबंध के लिए जनजागृति रैलियां, आंदोलन, लेखन, संगोष्ठी कर जन जागृति कार्यक्रमो के माध्यम से वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र कुंभलगढ़, रणकपुर, कामलीघाट सहित खारी, गोमती, बनास, चंद्रभागा, और कोठारी नदियों के प्रवाह क्षेत्र में भयंकर रूप से विस्तार ले चुकी खतरनाक खरपतवार लेंटाना कैमारा, गाजर घास और जूली फ्लोरा उन्मूलन का अभियान भी चलवाया गया । सामोता ने विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं और भामाशाहों को प्रेरित कर, राजसमंद उपखंड क्षेत्र की तासोल ग्राम पंचायत में 5100 पौधों की फलदार पौधशाला, पन्नाधाय पपीता पौधशाला, पूर्व सांसद, प्रकृति की पाठशाला पर्यटक /ग्राम पंचायत पिपलांत्री पर लिखित का पुस्तक काव्य किरण का विमोचन का कार्य राजसमन्द के पूर्व सांसद स्वर्गीय श्री हरिओम सिंह राठौड़ के आतिथ्य में प्रकृति को समर्पित करवाई गई । सामोता द्वारा किए जा रहे इन सतत प्रकृति हितकारी कार्यों के लिए तत्कालीन जिलाधीश श्याम लाल गुर्जर ने उन्हें "राजस्थान पर्यावरण गुरु सम्मान" से भी नवाजा ।
प्रकृतिविद शिक्षक सामोता ने मेवाड़ अंचल में प्रतिभाओं को जोड़ा प्रकृति से :-
विगत 25 वर्षों से प्रतिभा प्रोत्साहन, पर्यावरण संरक्षण, लेखन एवं जीव विज्ञान/गणित अध्यापन से जुड़े पर्यावरणविद शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजसमंद जिले की सभी इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी अवॉर्ड छात्राओं, आपनी बेटी योजना में चयनित छात्राओं तथा गार्गी पुरस्कार से पुरस्कृत छात्राओं के लिए आयोजित "कैरियर गाइडेंस एवं प्रतिभा सम्मान समारोह" में गमलों में लगे पौधे भेंटकर तथा गले में लटकाने वाले दुपट्टे/उपरने पर "पौधे लगाए", "प्रकृति को बचाएं", "बेटी बचाएं","प्लास्टिक हटाएं","सबको पढ़ाए" जैसे संदेश लिखवाकर मेवाड़ अंचल की प्रतिभावान छात्रा शक्ति और मातृ शक्ति के लिए ऐतिहासिक, प्रेरक, भव्य एवं दिव्य कार्यक्रम कर, संपूर्ण प्रदेश में प्रकृति रक्षण का संदेश देने का नेक काम किया है ।
अमरसरवाटी क्षेत्र के ईट भट्टों की चिमनियां ऊंची करवाकर, वहां की जैव विविधता को बचाने का किया प्रयास :-
विगत 2 दशकों में शाहपुरा जयपुर क्षेत्र के अमरसरवाटी क्षेत्र में तेजी से भोमजल स्तर के नीचे गिर जाने के कारण सैकड़ों की तादाद में चोमू अजीतगढ़ एवं अजीतगढ़ श्रीमाधोपुर स्टेट हाईवे के दोनों ओर भट्टों का उद्योग आरंभ हो गया ओर अमरसरवाटी क्षेत्र में संचालित सैकड़ों ईट भट्टों की लोहा निर्मित कम ऊंचाई वाली चिमनीयो से चौबीसों घंटो जहरीला दुआ उगला जाने लगा । जिस पर सामाजिक एवं पर्यावरण हितकारी संस्थान के संस्थापक कैलाश सामोता रानीपुरा ने निवर्तमान तहसीलदार, शाहपुरा सज्जन सिंह राठौड़ को ज्ञापन के माध्यम से इन अवैधानिक रूप से संचालित ईट भट्ठों की दमघोटू धुआं, मिट्टी के अवैधानिक खनन, राज्य वृक्ष खेजड़ी के उन्मूलन, राज्य पशु ऊंट के दोहन सहित बाल मजदूरों के शोषण के विषय को समझाया । जिस पर संज्ञान लेते हुए इस क्षेत्र के समस्त ईंट भट्टों की लोहा निर्मितमात्र 25 फीट से ऊंचाई चिमनियो की ऊंचाई बढ़ाकर 50 से 150 फीट तक करवाने का काम करवाया गया। लेकिन, दुर्भाग्य ही है कि वर्तमान समय में शासन प्रशासन की मिलीभगत के गंदे खेल की वजह से आज भी यहां की उपजाऊ मिट्टी को 10 से 15 फीट गहराई तक खोदा जा रहा है, राज्य वृक्ष खेजड़ी उन्मूलन, राज्य पशु ऊंट का दोहन सहित बाल मजदूरी करवाई जा रही है । परिणाम स्वरूप क्षेत्र में सैकड़ों पक्षी प्रजातियां की प्रजातियां मधुमक्खी, तितलियां, गिद्ध, चील कावले, आदि सहित वनस्पति प्रजातियां नष्ट हो चुकी है और यहां खेती में परागण प्रक्रिया ना होने के कारण, उपज में काफी गिरावट आई है जिससे किसानों का कृषि से मोहभंग होता चला जा रहा है । वहीं दूसरी ओर इस जहरीले धुआं से ना केवल पशु पक्षियों पर दुष्प्रभाव पड़ा है, बल्कि इंसानों में भी अस्थमा, दमा, स्वास रोग,गठिया और लंग्स कैंसर जैसी बीमारियां देखी जा रही है ।
लेखक : कैलाश सामोता, रानीपुरा
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