51 वें विश्व पर्यावरण दिवस 2023 के अवसर पर संस्कार अकादमी गोविंदगढ़ में सेमिनार का हुआ आयोजन

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

चौमूं शाहपुरा / जयपुर/ राजसमंद (संस्कार सृजन) चौमूं उपखंड क्षेत्र के गोविंदगढ़ कस्बे में एक निजी शिक्षण संस्थान संस्कार अकादमी में सैकड़ों युवाओं और शिक्षाविदों ने 51वें विश्व पर्यावरण दिवस 2023 को "पर्यावरण संरक्षण संकल्प दिवस" के रूप में मनाया । संस्थान की ओर से आयोजित "हमारा पर्यावरण, हमारी जिम्मेदारी" विषय पर आधारित सेमिनार कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी अड़गड़ानंद स्वामी के सानिध्य में संचालित श्रीपरमहंस आश्रम, रायसिंह का बास के संत श्रीरामानंद महाराज "रामूबाबा" ने कार्यक्रम की अध्यक्षता एवम मुख्य अतिथि स्वतंत्र विचारक एवं पर्यावरणविद शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा रहे । 


"हमारा पर्यावरण, हमारी जिम्मेदारी" विषय आधारित सेमिनार कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए शिक्षक सामोता ने अध्यनरत सैकड़ों युवाओं एवं शिक्षकों से आह्वान किया कि जलवायु परिवर्तन, ओजोन होल प्रभाव, ग्रीन हाउस प्रभाव, ऋतु चक्र परिवर्तन, बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी, सूखा बाढ़ की स्थिति, संक्रामक महामारियो के संक्रमण के खतरे की स्थितियों को देखते हुए, हमें आज के दिन यह संकल्प लेना होगा कि हम मनु की संताने मिलकर धरती माता और इसकी संपूर्ण जैव विविधता का संरक्षण करेंगे और हर घर प्रतिवर्ष एक पौधे का रोपण कर, उसके संरक्षण का जिम्मा लेंगे । साथ ही अपने तथा अपने अपनो के जन्मदिवस, शादी की सालगिरह, आदि विभिन्न खुशी और गमी के अवसर पर एक पौधा जरुर लगाएंगे तथा उसके वृक्ष बनने तक सुरक्षा का जिम्मा भी लेंगे। 

इस अवसर पर संस्था निदेशक सांवरमल यादव ने सिंगल यूज प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग करने तथा "एक व्यक्ति, एक पौधा" अभियान को कार्य रूप देने में सहयोगी बनने का आह्वान किया ताकि पृथ्वी ग्रह पर हरीतिमा की चादर चढ़ाई जाए । तभी देश की भावी पीढ़ियों के लिए शुद्ध प्राणवायु और शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाएगी ।

इस अवसर पर संत रामानंद महाराज ने बाहरी पर्यावरण एवं मानव के शरीर के आंतरिक पर्यावरण के संरक्षण पर जोर दिया और कहा कि भागदौड़ भरी जिंदगी व प्रतिस्पर्धा के इस युग में बाहरी पर्यावरण एवं आंतरिक पर्यावरण में सामंजस्य बेहद जरूरी है ताकि जीवन में आने वाली विचलनो से बचा जा सके । उन्होंने राष्ट्र और धर्म की रक्षा को भी जरूरी बताया और कहा कि पढ़ाई के साथ साथ शरीर, समाज, देश और परिवेश की शुद्धता को बनाए रखना बेहद जरूरी है । हमारा धर्म सुरक्षित रहेगा तो ही राष्ट्र और राष्ट्र का नागरिक सुरक्षित रहेगा । इसलिए वर्तमान पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ-साथ धार्मिक ज्ञान भी लेने की जरूरत है । उन्होंने यथार्थ गीता में कर्म पर दिए गए जोर की अक्षरसह पालना करने की बात कही । इस अवसर पर संस्थान के शिक्षक, शिक्षार्थी एवं प्रकृति प्रेमी उपस्थित रहे ।

बहुत जरूरी सूचना :- रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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