आज 74 साल का हो गया राजस्थान, जानिए- कितनी रियासतों को मिलाकर बना था यह प्रदेश

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) आजादी के बाद देश में अलग-अलग राज्यों के गठन का काम शुरू हुआ था | राजस्थान का स्थापना दिवस 30 मार्च को मनाया जाता है | आज राजस्थान 74 साल का हो गया | स्थापना दिवस पर आइए हम आपको बताते हैं कि किन-किन रियासतों को मिलाकर राजस्थान का गठन किया गया था और क्या है इसके पीछे की कहानी......


किन राजे-रजवाड़ों और रियासतों से बना है राजस्थान - सबसे पहले अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली की रियासतों का एकीकरण किया गया था | बाद में इसमें जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर की रियासतों का भी इसमें विलय गिया गया | इतिहास बताता है कि कुल सात चरण में राजस्थान का एकीकरण हुआ | एकीकरण का यह काम 30 मार्च 1949 को पूरा हुआ था, इसे राजस्थान नाम देने के पीछे भी एक बड़ा कारण है | आजादी से पहले यहां अलग-अलग रियासतें थी, इनमें अलग-अलग राजा शासन करते थे | राजपरिवारों का शासन वंशानुगत चलता था, आजादी के बाद जब देश में लोकतंत्र लागू हुआ तो राजाओं का शासन खत्म हो गया | शासन जनता के जरिए तय किया जाने लगा | चूंकि यह स्थान पहले राजाओं का स्थान रहा है, इसी वजह से इस प्रदेश का नामकरण भी राजस्थान के नाम से किया गया |

राजस्थान में कई किले हैं | इनमें 13 प्रमुख हैं, इनमें जयपुर का आमेर और जयगढ़ किला, जोधपुर का मेहरानगढ़ किला, राजसमंद का कुम्भलगढ़ किला, सवाई माधोपुर का रणथम्भोर किला, बीकानेर का जूनागढ़ किला,भरतपुर का लोहागढ़ किले की दुनियाभर में पहचान है. अन्य किलों और महलों में गागरौन किला, जैसलमेर, सिरोही का अचलगढ़, नागौर का अहिछत्रगढ़, जालौर दुर्ग, सिरोही का खिमसर किला, अवलर का निमराणा किला, सिटी पैलेस आदि भी प्रसिद्ध हैं | अभेद किलों के साथ रानियों के रहने के लिए आलीशान महल भी बने हुए थे |

देश का है सबसे बड़ा राज्य - राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है | इसका क्षेत्रफल तीन लाख 42 हजार 239 वर्ग किलोमीटर है | यह देश का 1/10 भूभाग है | राजस्थान में अभी तक सात संभाग और 33 जिले थे | मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18 मार्च को दो जिलों का विलय करते हुए 19 नए जिले और तीन नए संभाग के गठन की घोषणा की | इसके बाद से अब राजस्थान में कुल 10 संभाग और 50 जिले हो गए हैं | पर्यटन के नक्शे में राजस्थान की विशेष पहचान है | यहां दर्जनों ऐसे पर्यटन स्थल है,जहां रोजाना हजारों की संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं | वहीं धोरों की धरती जैसलमेर की अपनी अलग पहचान है | वहां हिचकोले खाते पर्यटक ऊंटों की सवारी का आनन्द लेते देखे जा सकते हैं | झीलों की नगरी उदयपुर हो या पिंक सिटी जयपुर,पर्यटन की दृष्टि से यहां कई दर्शनीय स्थान हैं |

इस राज्य की एक अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ 1070 km लगती है। जिसे रेड क्लिप रेखा के नाम से जानते है| इसके अतिरिक्त यह देश के अन्य पाँच राज्यों से भी जुड़ा है। इसके दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132140 वर्ग मील) है। 2011 गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 70% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी तथा जोधपुर न्यायिक राजधानी हैं राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में स्थित हैं।बीकानेर उपराजधानी हैं। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात देलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। 

राजस्थान में तीन(रामगढ़ विषधारी के जुड़ने के बाद चार )बाघ अभयारण्य, मुकंदरा हिल्स[8], रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। राजस्थान का सबसे नया संभाग भरतपुर है। राजस्थान का सबसे छोटा जिला क्षेत्रफल की दृष्टि से धौलपुर है, और सबसे बड़ा जिला जैसलमेर हैं। भारत का सबसे गर्म स्थान फलोदी जोधपुर है । फलोदी में सौर ऊर्जा संयंत्र बहुत ज्यादा स्थापित हो रहे है ।

प्राचीन समय में राजस्थान में आदिवासी कबीलों का शासन था। 2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में सिंधु घाटी सभ्यता की नींव रखी थी। भील और मीना जनजाति इस क्षेत्र में रहने के लिए सबसे पहले आए थे। संसार के प्राचीनतम साहित्य में अपना स्थान रखने वाले आर्यों के धर्मग्रंथ ऋग्वेद में मत्स्य जनपद का उल्लेख आया है, जो कि वर्तमान राजस्थान के स्थान पर अवस्थित था। 

महाभारत कथा में भी मत्स्य नरेश विराट का उल्लेख आता है, जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास बिताया था। करीब 13 वी शताब्दी के पूर्व तक पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती पर मीणा तथा दक्षिण राजस्थान पर भील राजाओं का शासन था | उसके बाद मध्यकाल में राजपूत जाति के विभिन्न वंशों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना कब्जा जमा लिया, तो उन भागों का नामकरण अपने-अपने वंश, क्षेत्र की प्रमुख बोली अथवा स्थान के अनुरूप कर दिया। ये राज्य थे- चित्तौडगढ, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़, (जालोर) सिरोही, कोटा, बूंदी, जयपुर, अलवर, करौली, झालावाड़ , मेरवाड़ा और टोंक(मुस्लिम पिण्डारी)।

ब्रिटिशकाल में राजस्थान 'राजपूताना' नाम से जाना जाता था राजा महाराणा प्रताप और महाराणा सांगा,महाराजा सूरजमल, महाराजा जवाहर सिंह, वीर तेजाजी अपनी असाधारण राज्यभक्ति और शौर्य के लिये जाने जाते थे। पन्ना धाय जैसी बलिदानी माता, शहीद अमृता देवी बिश्नोई गांव खेजड़ली जिला जोधपुर में 12 सितंबर सन् -1730 को हरे वृक्षों खेजड़ीयों को बचाने के लिए 363 बिशनोई नर नारियां ने अपना बलिदान दिया मीरां जैसी जोगिन यहां की एक बड़ी शान है। कर्मा बाई जैसी भक्तणी जिसने भगवान जगन नाथ जी को हाथों से खीचड़ा (खिचड़ी) खिलाया था। इन राज्यों के नामों के साथ-साथ इनके कुछ भू-भागों को स्थानीय एवं भौगोलिक विशेषताओं के परिचायक नामों से भी पुकारा जाता रहा है। पर तथ्य यह है कि राजस्थान के अधिकांश तत्कालीन क्षेत्रों के नाम वहां बोली जाने वाली प्रमुखतम बोलियों पर ही रखे गए थे। 

उदाहरणार्थ ढ़ूंढ़ाडी-बोली के इलाकों को ढ़ूंढ़ाड़ (जयपुर) कहते हैं। 'मेवाती' बोली वाले निकटवर्ती भू-भाग अलवर को 'मेवात', उदयपुर क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली 'मेवाड़ी' के कारण उदयपुर को मेवाड़, ब्रजभाषा-बाहुल्य क्षेत्र को 'ब्रज', 'मारवाड़ी' बोली के कारण बीकानेर-जोधपुर इलाके को 'मारवाड़' और 'वागडी' बोली पर ही डूंगरपुर-बांसवाडा आदि को 'वागड' कहा जाता रहा है। डूंगरपुर तथा उदयपुर के दक्षिणी भाग में प्राचीन 56 गांवों के समूह को "छप्पन" नाम से जानते हैं। माही नदी के तटीय भू-भाग को 'कोयल' तथा अजमेर-मेरवाड़ा के पास वाले कुछ पठारी भाग को 'उपरमाल' की संज्ञा दी गई है।

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