जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
जयपुर (संस्कार सृजन) प्रतिवर्ष हम 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाते हैं। काव्य गोष्ठियों के माध्यम से हिंदी का गुणगान करते हैं। छायावाद के कवि कवयित्रियों भक्तिकाल रीतिकाल के रचनाकारों की महिमा गान करते हैं। हिंदी सेवियों का सम्मान करते हैं। हिंदी दिवस को रचनाकार प्रण करते हैं हम हिंदी का प्रचार प्रसार करेंगे। हिंदी बोलेंगे हिंदी लिखेंगे आदि ।लेकिन क्या हिंदी दिवस पर इतना सब कुछ करना पर्याप्त है । उतर में आप कहोगे नहीं। आज भी हम अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ने भेज रहे हैं। आज भी जब आपका बच्चा सामाजिक कार्यक्रम में अंग्रेजी कविता सुनाता है तो सारे समाज के सामने आपका सिर गर्व से ऊपर हो जाता है। ऐसा क्यों क्या यही हिंदी प्रेम है यही हिंदी सेवा है । नहीं। आज भले परिवार में माता पिता हिंदी माध्यम में पढ़े हो लेकिन उनके बच्चों को वे प्राइवेट स्कूल में ही भेजते हैं जिनमें अंग्रेजी माध्यम में ही पूरी पढ़ाई करवाई जाती है।
आम बोलचाल में भी हम समाज मे स्टेटस दिखाने के लिए इंग्लिश बोलते ही है।आखिर कैसे बढ़ेगा हिंदी का मान। जो हिंदी भाषा एक वैज्ञानिक भाषा है जिसका एक व्याकरण है जो राज काज की भाषा है। राष्ट्र भाषा हिंदी ब्लोने में हर भारतीय को गर्व करना चाहिए। हिंदी भाषा मे हमारे सभी ग्रंथ लिखे गए हैं। कबीर सूरदास तुलसीदास रहीमदास रसखान सभी की रचनाएं हिंदी में लिखी है । भारत की जब जन की भाषा हिंदी है।14 सितम्बर 1949 से ही हिंदी दिवस मनाते आ रहे है।1949 में हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया गया।इसे 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक रूप में उपयोग करने का विचार स्वीकृत किया गया था।हिंदी हमारी राजभाषा है व देवनागरी लिपि है।
अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव को रोकने का कार्य बहुत जरूरी है।हिंदी भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है । इसीलिए हम हिंदी दिवस मनाते हैं ।सभी भारतीयों ने हिंदी के लिए बहुत संघर्ष किया इसका परिणाम यह रहा है कि हिंदी विश्व की सबसे प्रसिद्ध भाषाओं में एक मानी जाती है।1918 में राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की बात कही थी।जब भारत आजाद हुआ। दो साल गुजरने के बाद 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला।
14 सितम्बर 1953 को प्रथम हिंदी दिवस मनाया गया।प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू जी ने 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी।आज हिंदी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा बन गई है।हमारी भाषा हमारी संस्कृति का प्रतिबिंब है।आज विदेशी भी भारत की संस्कृति व सभ्यता संस्कार को जानने के लिए हिंदी का उपयोग करते हैं।हिंदी सारे हिंदुस्तान को एकता के सूत्र में बांधती है।आज अहिन्दी राज्यों में भी हिंदी बोली जाने लगी है। वहाँ भी विपुल हिंदी साहित्य का सृजन हो रहा है।आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक चले जाओ सब जगह हिंदी भाषा ही मिलेंगे।क्योंकि हिंदी एक सरल बोधगम्य भाषा है जिसे सहज रूप में समझा जा सकता है।
आज जरूरत है महंगे स्कूलों में विदेशी भाषा अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी पर अधिक जोर देकर पढ़ाया जावे ।हिंदी की तरफ ध्यान देवें। रोजगार में भी हिंदी को महत्व दिया जाना चाहिए। हिंदी दिवस पर भाषा सम्मान की शुरुआत इसीलिए की गई।यह सम्मान प्रति वर्ष ऐसे व्यक्ति को प्रदान किया जाता है जो हिंदी के उत्थान के लिए काम करता है।इसके लिए एक लाख रुपये दिए जाते हैं।हिंदी में निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। वाद विवाद विचार गोष्ठी काव्य गोष्ठी श्रुतिलेख प्रतियोगिता आदि आयोजित की जाती है।साथ ही राष्ट्र भाषा कीर्ति पुरस्कार,राष्ट्र भाषा गौरव पुरस्कार आदि भी प्रदान किये जाते हैं।हिंदी पखवाड़ा हिंदी सप्ताह भी मनाते हैं।इसका मूल उद्देश्य हिंदी भाषा के लिए विकास की भावना को पहुंचाना होता है।
महात्मा गांधी ने कहा था राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।हिंदुस्तान के लिए उन्होंने देवनागरी लिपि की बात पर जोर दिया था।भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने कहा था निज भाषा उन्नति अहे,सब भाषा को मूल।माखनलाल चतुर्वेदी ने कहा हिंदी हमारे देश व भाषा की प्रभावशाली विरासत है।
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर हिंदी का मान बढ़ाया था।उनका यह भाषण विश्व मे काफी लोकप्रिय हुआ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा भाषा चेतन्य होती है और उस चेतना की अनुभूति आवश्यक होती है। हिंदी के संरक्षण व संवर्धन हेतु कई महापुरुषों ने योगदान दिया है जो प्रेरणास्पद है।
प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन में भारतीय लेखकों द्वारा लिखी गई किताबों का प्रदर्शन किया गया था।मॉरीशस के 1500 लेखकों द्वारा लिखी गई किताबें वहाँ रखी थी।हमें प्रयत्न करते रहना चाहिए भारत की विभिन्न बोलियो भारत की सभी भाषाओं में जो भी अच्छा लगे उसे हिंदी को समृद्ध करने की आवश्यकता है।हिंदी विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।भारत के 80 प्रतिशत लोग हिंदी बोल लेते हैं मॉरीशस गुयाना सेशल्स त्रिनिदाद संयुक्त अरब अमीरात टोबैगो इन देशों में भी हिंदी अधिक संख्या में लोग बोलते हैं समझते हैं।हिंदी को 200से अधिक
विश्व विद्यालयों में पढ़ाई जाती है।सोशल मीडिया की बात करें तो आज हर पांचवा यूजर हिंदी में ही लिखते हैं।हिंदी भाषा पूरे विश्व मे लगभग 258 मिलियन लोगों की भाषा है।बहुत से देशों की कार्यालयी भाषा हिंदी ही है उनमें प्रमुख है फिजी,सिंगापुर त्रिनिदाद प्रमुख है। इस प्रकार हिन्दी न केवल देश मे बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रिय होती जा रही है ।
हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए साहित्यिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।भारतेन्दु युग मे हिंदी साहित्य सृजन का कार्य प्रचुर मात्रा में किया गया था।हिंदी को मजबूत धरातल प्रदान करने में भारतेन्दु जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।उन्होंने घूम घूम कर हिंदी का प्रचार प्रसार किया था। वे एक उच्च कोटि के लेखक साहित्यकार के साथ ही हिंदी के प्रहरी थे।उन्होंने भारतेन्दु मण्डल बनाकर कई हिंदी साहित्यकारों को जोड़ा।मण्डल में बालकृष्ण भट्ट बदरी नारायण चौधरी अम्बिकादत्त व्यास सहित कई हिंदी लेखको का नाम था। नागरी प्रचारिणी सभा काशी साहित्य अकादमी नई दिल्ली केंद्रीय हिंदी निदेशालय हिंदी विद्यापीठ मुंबई राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा साहित्य मण्डल नाथद्वारा राजस्थान सहित कई साहित्यिक संस्थाएं हिंदी के उत्थान व प्रचार प्रसार में अग्रणी है।
लेखक - डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित, साहित्यकार, भवानीमंडी राजस्थान
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