मेयर सौम्या गुर्जर को हटाने के आदेश कर सकती है राजस्थान सरकार

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर के खिलाफ आई न्यायिक जांच की रिपोर्ट के बाद अब सभी की निगाहे राज्य सरकार पर टिकी हुई है। सरकार किसी भी समय सौम्या गुर्जर को पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर सकती है। वहीं, इस मामले पर अब भाजपा पार्टी भी कानूनी राय लेने पर विचार कर रही है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- जो कुछ सरकार कर रही है। वह जनता देख रही है।

स्वायत्त शासन निदेशालय एवं जयपुर नगर निगम के पूर्व निदेशक अशोक सिंह ने बताया कि न्यायिक जांच अधिकारी से जो रिपोर्ट सरकार को मिली है, उस पर अब अंतिम निर्णय यूडीएच मंत्री करेंगे। मंत्री के पास भी राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में दो विकल्प है। एक ये कि वे चाहे तो इस मामले में दोबारा जांच करवा सकते है। दूसरा ये कि वे मेयर को दोषी मानते हुए पद से हटाए जाने का निर्णय भी ले सकते हैं। यदि पद से हटाए जाने का निर्णय लिया जाता है तो निश्चित रूप से मेयर को अगले 6 साल के लिए नगर पालिका चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित भी किया जा सकेगा।

दोबारा करवाने पड़ेंगे मेयर के चुनाव :-
डॉ. सौम्या गुर्जर को पद से हटाया जाता है तो मेयर के चुनाव फिर से होना तय है। इसके लिए सरकार राज्य निर्वाचन आयोग को लिखेगी। निर्वाचन आयोग ही मेयर पद के लिए दोबारा चुनाव करवाएगा। कमेटियां भी नए सिरे से बनाई जा सकती है।

अस्वभाविक निर्णय नहीं है :-
इस मामले में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- ये अस्वभाविक निर्णय नहीं है। क्योंकि जो प्रकरण उस समय नगर निगम में हुआ, वह पूरी जनता ने देखा। इस मामले की न्यायिक जांच भी सरकार ने ही शुरू करवाई। इससे कोई उम्मीद नहीं थी। ऐसे में ये निर्णय कोई अस्वभाविक नहीं है। जो कुछ हुआ, दबाव में हुआ है। हम जो भी इसके कानूनी विचार या सलाह लेनी होगी आगे के लिए वो करेंगे।

पार्षद कॉपी लेने गए तो अधिकारियों ने देने से किया मना :-
इधर इस न्यायिक जांच की कॉपी लेने जब निलंबित पार्षद पारस जैन और अजय सिंह शासन सचिवालय में स्वायत्त शासन विभाग पहुंचे। अधिकारियों ने पत्रावली नहीं आने की बात कही। इसके बाद दोनों ही निलंबित पार्षद न्यायिक जांच करने वाली अधिकारी के दफ्तर पहुंचे। वहां से जांच की कॉपी 3 दिन बाद उपलब्ध करवाने की बात कही। निलंबित पार्षदों ने आरोप लगाया कि सरकार को डर है कि कहीं हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाकर हम इस मामले में स्टे न ले आए। आशंका है कि छुटि्टयों के दौरान ही हमें पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर देंगे।

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