अबकी बार चैत्र नवरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आएंगी माँ दुर्गा : पंडित रविंद्रचार्य

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) चैत्र नवरात्र पर माँ घोड़े पर सवार होकर धरती पर आगमन करेगीं। माँ के हर वाहन का अपना महत्व और विशेष प्रभाव देखने और सुनने को मिलता है।

इस सम्बन्ध में अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविंद्र आचार्य  ने बताया कि चैत्र नवरात्र में कुछ ही दिन बचे हैं। इस बार माँ दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। सनातन धर्म शास्त्र में माँ दुर्गे के प्रत्येक वाहन का अलग - अलग महत्व दर्शाया गया है। वैसे तो साल में चार बार आने वाले नवरात्र में दो गुप्त नवरात्र है। माघी और आषाढी और शेष दो नवरात्र आश्विन और चैत्र नवरात्र में हर बार माँ दुर्गा नए वाहन पर धरती पर आगमन करती हैं और नए वाहन पर ही धरती से देवलोक को प्रस्थान लेती है। इन वाहनों का देश दुनिया और पृथवी पर बड़ा असर पड़ता है।

अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविंद्र आचार्य

सनातन धर्म में यूँ तो देवी माँ दुर्गा को हमेशा शेर पर ही सवार देखा गया है लेकिन नवरात्र के मौके पर माँ अलग अलग वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं। माँ के वाहन हैं - डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य और हाथी। दिन के आधार पर तय होता है माँ जगदम्बा का वाहन। अगर नवरात्र सोमवार या रविवार से शुरू हो रहे हैं तो माँ दुर्गा का वाहन हाथी होता है। 

अगर नवरात्र शनिवार या मंगलवार से शुरू होते हैं तो माँ दुर्गा का वाहन घोड़ा होता है। अगर नवरात्र गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होते हैं तो माँ डोली में बैठकर आती हैं। अगर नवरात्र बुधवार से आरंभ हो रहे हैं तो माँ नाव पर सवार होकर आती है।किस वाहन का क्या प्रभाव होता है? इन तथ्यों को बाकायदा देवी भागवत के एक श्लोक के जरिए बताया गया है:-  शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता।

अर्थात जब माँ हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है, घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध के हालात पैदा होते हैं और शासक पर खतरा उत्पन्न होता है तथा सत्ता जाने का अंदेशा बना रहता है। नौका पर सवार होकर आती हैं तो सब अच्छा होता है और शुभ फलदायी होता है। अगर माँ डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी, संहार का अंदेशा होता है। इस वर्ष यानी 2022 के चैत्र नवरात्र में माँ दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं और इसका अंदेशा युद्ध की संभावना से बन रहा है। 

माँ दुर्गा के प्रस्थान के अलग वाहन हैं। माँ अलग वाहनों के जरिए धरती से प्रस्थान करती हैं। इस श्लोक से स्पष्ट प्रतीत हो है "शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा। शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानी करी विकला।। बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा। सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥"

यानी रविवार या सोमवार को देवी मां भैंसे की सवारी से प्रस्थान करती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है। शनिवार या मंगलवार को देवी माँ मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं तो जनता में दुख और कष्ट बढ़ता है। बुधवार या शुक्रवार को देवी माँ हाथी पर सवार होकर विदा लेती हैं तो अत्यधिक बारिश होती है। गुरुवार को माँ दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं और इसका तात्पर्य ये हुआ कि मनुष्यता बढ़ेगी, सुख शांति बनी रहेगी।


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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