पोक्सो एक्ट में पहली बार दोषी को फांसी की सजा

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) जयपुर में चार साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या के मामले में पोक्सो कोर्ट के जयपुर जिला जज संदीप शर्मा ने आरोपी सुरेश को गुरुवार को फांसी की सजा सुनाई है। कड़ी सुरक्षा के बीच आज आरोपी को पहली बार कोर्ट में लाया गया। जयपुर जिले में पॉक्सो एक्ट में फांसी देने का यह पहला मामला है। आरोपी ने मासूम से रेप के बाद उसकी तालाब में डुबोकर हत्या कर दी थी।

मामले में मासूम के पिता ने 12 अगस्त 2021 को नरैना थाने में मामला दर्ज कराया था। पुलिस को उसी दिन तालाब में बच्ची की लाश मिली थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी। जयपुर ग्रामीण पुलिस ने 13 अगस्त को आरोपी सुरेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं मामले की जांच पूरी होने पर 25 अगस्त को अदालत में विभिन्न धाराओं में चालान पेश किया था। गुरुवार को पॉक्सो कोर्ट में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।

पोक्सो एक्ट में फांसी देने का यह पहला मामला
कोर्ट ने आरोपी को दुष्कर्म सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी माना था। 8 फरवरी को सजा पर बहस के दौरान सरकारी वकील महावीर किश्नावत ने मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' बताते हुए कोर्ट से दोषी सुरेश के लिए मृत्युदंड देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि दोषी का कृत्य जानवरों से भी बदतर है। इसने न केवल मासूम के साथ दुष्कर्म किया, बल्कि उसे तालाब में डुबोकर बड़ी बेरहमी से मार डाला।

चार साल की मासूम के साथ दुष्कर्म व हत्या के दोषी को कोर्ट ने आज मृत्युदंड की सजा सुना दी। कड़ी सुरक्षा के बीच आज आरोपी को पहली बार कोर्ट में लाया गया। पोक्सो कोर्ट के जयपुर जिला जज संदीप शर्मा ने यह फैसला सुनाया। जयपुर जिले में पोक्सो एक्ट में फांसी देने का यह पहला मामला है।

मृत्युदंड जरूरी ताकि कोई दोबारा ऐसा करने से पहले हजार बार सोचे : जज
जज संदीप शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि यह कृत्य 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' कैटेगरी में आता है। अगर इसे मृत्युदंड नहीं दिया गया तो पॉक्सो एक्ट 2012 पारित किए जाने का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। ना ही लैंगिग अपराधों में कोई कमी आएगी, जो प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।


जज ने कहा कि फांसी की सजा नहीं दी तो ऐसे अपराधियों के हौसले और अधिक बुलंद हो जाएंगे। ऐसे व्यक्ति के लिए मृत्युदंड के सिवाय कोई और दंड नहीं है। अभियुक्त को मृत्यु दंड दिया जाना इसलिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति ऐसा घृणित काम करने से पहले 1000 बार सोचे। छोटी बच्चियां घर में व बाहर स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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