सैकड़ो बच्चें कैंसर मुक्त होकर बिता रहे सामान्य जीवन

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) तीन साल के सचिन को एएलएल कैंसर की पहचान हुई। फलों का ठेला चलाने वाले सचिन के पिता गिरीश कुमार को एक ही चिंता सता रही थी, कैंसर के उपचार के लिए पैसा कहा से आएंगा। लेकिन जब उन्हें अपने चिकित्सक से पता चला कि इसका उपचार निशुल्क होगा तो उन्हें राहत की सांस आई। तीन साल तक उपचार के बाद सचिन कैंसर मुक्त हो गया। आज सचिन 11 साल का है और क्रिकेट का एक बेहतरीन प्लेयर भी। सचिन जैसे ही सैकड़ो बच्चें आज भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल की जीवनदान परियोजना के तहत उपचार लेकर कैंसर को मात दे चुके है। 

बीएमसीएच के ब्लड कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में कई तरह के ब्लड कैंसर होते हैं, जिसकी शुरुआती स्तर में उपचार की शुरुआत करके उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। उपचार पूर्ण होकर स्वस्थ जीवन जी रहे हजारों बच्चे सामान्य जांच के लिए चिकित्सालय में आते हैं जो अन्य बच्चों की तरह ही स्पोटर्स और फिजिकल एक्टिविटी में भी पूर्ण रूप से एक्टिव होते है।

डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बीएमसीएच में बच्चों के कैंसर से जुड़ी दो परियोजनाएं चलाई जा रही है, जिसके तहत बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाता है। जिसमें जीवनदान परियोजना की शुरुआत के तहत लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लॉस्टिक ल्यूकीमियां (एएलएल), एक्यूट प्रोमाईलोसाईटिक ल्यूकीमियां (एएमपीएल), होजकिन्स लिम्फोमा (एचएल) शामिल है। अगस्त 2014 से दिसंबर 2021 तक इस योजना में 5.91 करोड़ रुपए की लागत सेे 189 बच्चों को उपचार दिया जा रहा है। जिनमें से 125 बच्चे कैंसर मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे है। इसी के साथ किडनी कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विल्मस टयूम नाम से परियोजना चल रही है। मई 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अब तक 14 बच्चें रजिस्टर्ड हुए जिन्हें 20.55 लाख रूपए की लागात का उपचार देकर सभी बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा चुका है। 

समय पर उपचार की शुरूआत जरूरी

कैंसर रोग विषेषज्ञ डॉ ताराचंद गुप्ता ने बताया कि बच्चों में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। देष में हर साल 4 लाख से ज्यादा बच्चें इस बीमारी की षिकार हो रहे है। जागरूकता की कमी के चलते इन बच्चों का उपचार समय पर शुरू नहीं हो पाता, जिसकी वजह से बच्चों में सर्वाइवल रेट 30 फीसदी तक ही है। 


इन लक्षणों का रखें विशेषज्ञ ध्यान 

डॉ गुप्ता ने बताया कि बच्चों में कई तरह के कैंसर होते है, जिनके शुरुआती लक्षण अलग-अलग होते हैं। जिनमें बार-बार बुखार आना, एनीमिया का उपचार लेने के बाद भी ठीक ना होना, शरीर पर गांठ का उभरना शामिल है। बच्चों में कोई भी असमान्य लक्षण उपचार के बाद भी लम्बे समय तक ठीक ना हो तो उसमें कैंसर विशेषज्ञ से एक जांच अवश्य करवानी चाहिए।

रिपोर्ट : आशा पटेल 


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