आखिर किन्नर की शव यात्रा सबसे छुपाकर रात में ही क्यो निकाली जाती है ???

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

नई दिल्ली (संस्कार सृजन) किन्नरों को तो हम सब ने देखा है। हम ये भी जानते हैं कि इनकी जिंदगी हमारी तरह सामान्य नहीं होती। इनके जीवन जीने के तरीके, रहन-सहन सब अलग होते है। हमारे समाज में इन्हें तीसरे लिंग यानी कि थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया है। इनका अपना एक अलग समाज होता है और ये लोग उसी समाज में रहते हैं। जैसे हर समाज के अपने अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं, वैसे ही किन्नरों के समाज में भी उनका अपना रिवाज है। जन्म से लेकर मरने तक इनके अलग-अलग नियम है। कभी आपने किसी किन्नर की शव यात्रा देखी है, नहीं ना। ऐसा क्यों है, ये हम आपको बताते हैं।

किन्नरों के शव यात्रा में भी छुपे हैं राज : - 

किसी के घर में नई शादी हुई हो या फिर किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। वहां किन्नरों को नाचते- गाते नेक मांगते हुए आपने देखा होगा, कुछ पैसे लेकर आपको ढेर सारा आशीर्वाद दे जाते हैं ये किन्नर, लेकिन क्या आपको मालूम है कि जब इन किन्नरों की जब मौत होती है, तब इनके शव को सभी से छुपाकर रखा जाता है। जी हां, जहां ज्यादातर शव यात्रा दिन में निकाली जाती है, वहीं किन्नरों की शव यात्रा रात में निकाली जाती है। रात में किन्नरों की शव यात्रा निकालने के पीछे कारण ये है कि कोई इंसान इनकी ये शव यात्रा ना देखे। ऐसी इनकी मान्यता है कि इस शव यात्रा में इनके समुदाय के अलावे दूसरे समुदाय के किन्नर भी मौजूद नहीं होने चाहिए।

गुप्त होती है किन्नरों की शव यात्रा : - 

किन्नर समाज की सबसे बड़ी विशेषता तो ये है कि आम लोगों की तरह किसी के मरने पर ये लोग रोते नहीं है। किन्नर समाज में किसी की मौत होने पर ये लोग बिल्कुल भी मातम नहीं मनाते, क्योंकि इनका रिवाज है कि मरने से उसे इस नर्क वाले जीवन से छुटकारा मिल गया और अगले जन्म में उसे भगवान अच्छी जिंदगी दे। इसलिए ये लोग चाहे जितने भी दुखी हों, किसी अपने के चले जाने से लेकिन मौत पर खुशियां ही मनाते हैं।

किन्नर खुशी में पैसे भी दान में देते हैं : - 

किन्नरों के समाज में किसी की मौत होने पर सबसे अजीब रिवाज जो है, वो ये कि ये लोग शव को अंतिम संस्कार से पहले जूते-चप्पलों से पीटते हैं। कहा जाता है कि इससे उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है। वहीं वैसे तो किन्नर हिन्दू धर्म को मानते हैं, लेकिन ये लोग शव को जलाते नहीं हैं बल्कि दफनाते हैं। किन्नरों को लेकर बहुत सी बातें की जाती है। ये तो आपको बता ही होगा कि कुछ लोग जन्मजात ही किन्नर होते हैं, लेकिन कुछ लोग अपनी मर्जी से भी किन्नर बनते हैं तो वहीं कुछ लोगों को जबरदस्ती भी किन्नर बना दिया जाता है। किन्नरों के अराध्य देव अरावन हैं। भगवान अरावन से ये किन्नर साल में एक बार शादी करते हैं। यह शादी सिर्फ एक दिन के लिए होती है। ऐसी मान्यता है कि अगले दिन उनके अराध्य देव की मौत हो जाती है जिसके कारण उनका वैवाहिक जीवन उसी दिन खत्म हो जाता है|


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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