शिक्षा जीवन को एक नई विचारधारा प्रदान करती है - डॉ. महेश शर्मा पदमश्री

 जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

रूडकी (संस्कार सृजन) महात्मा गांधी सैन्ट्रल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. महेश शर्मा पदमश्री ने कहा कि आज शिक्षा के बदलते स्वरूप और भारतीय शिक्षा प्रणाली को देखते हुए इस पर गंभीर विमर्श की जरूरत है और उसके लिए कुछ बुनियादी सवालों से जूझना होगा।  उन्होने कहा कि शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जो जीवन को एक नई विचारधारा प्रदान करता है। यदि शिक्षा का उद्देश्य सही दिशा में हो तो आज का युवा मात्र सामाजिक रूप से ही नहीं बल्कि वैचारिक रूप से भी स्वतंत्र और देश का भावी कर्णधार बन सकता है। 

डॉ. शर्मा युनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नॉलोजी रूडकी के ऑडिटोरियम में अ. भा. शैक्षिक विमर्श एवं शिक्षक सम्मान समारोह मे बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। वैश्विक महामारी के दौर में वैश्विक परिवेश में शिक्षा के बदलते परिदृश्य एवं चुनौतियों को लेकर शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन उद्घोष: शिक्षा का नया सवेरा के बैनर तले किया गया । 

महामंडलेश्वर यतिन्द्रानन्द गिरी जी महाराज ने कहा कि रुड़की शहर पूर्व समय से ही शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध रहा है। रुड़की में आई आई टी विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान होने के कारण यहाँ देश विदेश से पढ़ने के लिए बच्चे आते है। उन्होंने वैश्विक महामारी के समय मे शिक्षा के बदलते स्वरूप पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि आज विश्व एक बुरे दौर से गुजर रहा है जिसके कारण हमारी आने वाली पीढ़ी को अत्यधिक नुकसान होने की संभावना बनी हुई है परंतु हमारे शिक्षकों की कड़ी मेहनत एवं संवेदनशीलता ने इस बुरे दौर में भीअपनी कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठा एवं लग्न से कार्य कर अपने दायित्वों का निर्वहन अच्छे से कर अपने आप को श्रेष्ठ सिद्ध किया है। 

सतीश शर्मा ने कहा कि सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु शिक्षक के साथ साथ बच्चों के माता पिता एवं समाज भी उतना ही उत्तरदायी है जितना कि शिक्षक। हमे अपने बच्चों के प्रति पूर्ण रूप से संवेदनशील रहने की आवश्यकता है। 

खण्ड शिक्षा अधिकारी श्रीकांत पुरोहित ने कहा कि शिक्षक पूरी लग्न ओर मेहनत से अपने सभी दायित्वों का निर्वहन करते हैजिसके कारण कोविड काल मे भी शिक्षकों की संवेदनशीलता के कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीँ हो पाई। 


महापौर गौरव गोयल ने वैश्विक महामारी के दौरान शिक्षा के बदलते स्वरूप को लेकर कहा कि जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया मे इस वैश्विक महामारी ने मौत का तांडव मचाया हुआ था वही दूसरी ओर शिक्षक अपनी जान की परवाह ना करते हुए स्कूलों में ड्यूटी दे रहे थे एवं कोविड महामारी में भी अनेक जगह पर शिक्षकों की तैनाती की गई थी जिसको प्रत्येक शिक्षक बड़ी ईमानदारी से निर्वहन कर रहा था।कार्यक्रम में देश के 22 राज्यों के शिक्षकों को सम्मानित किया गया। 


कार्यक्रम संयोजक संजय वत्स ने बताया कि वैश्विक परिवेश में सरकारी शिक्षा के बदलते स्वरूप को लेकर देश के अलग अलग राज्यो से शिक्षकों के आपस मे मिलने से विचारों का आदान प्रदान होता है जिससे शिक्षकों में नई ऊर्जा का संचार होता है शिक्षकों को अलग अलग आइडियाज मिलते है जिनका सदुपयोग शिक्षक अपने विद्यालय के बच्चों को शिक्षा देने हेतु करता है। 


सह संयोजक रविराज सैनी रहे। कार्यक्रम में डॉ. रविन्द्र सैनी, डॉ. वी. के. सिंह, राजीव कुमार शर्मा,आलोक शर्मा,डॉ रणवीर सिंह, विनोद कुमार सीताराम दुबे शिक्षक ,नितिन शर्मा,सुशील कुमार,राहुल सैनी, अनुभव गुप्ता,नाज़िम,इनाम,दीपक कुमार, सुमन,दीपा कौशिक,निशु वत्स,मनोज लाकडा आदि शिक्षक मौजूद रहे।


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