"इतनी खींचातानी है कि लाश की आंख में पानी है" लाडनूं में काव्य गोष्ठी आयोजित

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संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

लाडनूं (संस्कार न्यूज़) स्थानीय दाधीच भवन में गुरुवार को नगर की साहित्यिक संस्था 'साहित्य संगम' के तत्वावधान में वयोवृद्ध साहित्यकार गुरुमुखराय शर्मा के सम्मान में अभिनन्दन समारोह व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्य संगम के अध्यक्ष जगदीश यायावर की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकार गुरुमुखराय शर्मा को शॉल व श्रीफल व अभिनन्दन पत्र प्रदान किया गया। अभिनन्दन पत्र का वाचन मंत्री परवीना भाटी ने किया। 

काव्यगोष्ठी में सुनाई उत्कृष्ट रचनाएं

काव्य गोष्ठी में गुरुमुखराय शर्मा ने 'आभै पलकै बीज हियो धण रौ कलपावे छै, थे आज्यो माझल रात कै, सुनो सावन जावे छै' व 'देख देश की दीन दशा, मेरा कवि घुटता जाता ,है' सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। श्रृंगाररस के कवि रामबाबू शर्मा ने 'किसी गुलशन में गुल खुशियों के वो खिलने नहीं देते, जमाने में किसी के दिल से दिल मिलने नहीं देते' प्रस्तुत किया। 

कवयित्री परवीना भाटी ने 'विविधता में एकता इस देश की पहचान'  पेश करके राष्ट्रीय एकता की भावना को जागृत किया। गीतकार अरविंद प्रजापत ने भ्रूण हत्या पर प्रहार करते हुए 'बिटिया करें ये पुकार' गीत प्रस्तुत किया।  

कवि राजेश विद्रोही ने 'तुम आज कोख में ही कत्ल तो कर रहे हो, सोचो बड़े नसीब से आती है बेटियां' सुनाई। काली प्रसाद शर्मा ने छत्यो छात्याँ सौ छिनमे, कै बाला अब कोनी लादे, बालो सूं, कोसां-कोसां रात्यूँ भाया, बै बाला अब कोनी लादे, सुनाया। गौरीशंकर भावुक छापर ने 'म्हारै सागे छल हो ज्यासी, तूं जायां मुश्कल हो ज्यासी' पेश करके वाहवाही लूटी। 

गजलकार यासीन अख्तर खां ने 'अपनी बिसात से ना बढ़ कर तूं तलाश कर, तकदीर कह रही है उठ कर तलाश कर' गजल सुनाई। जगदीश यायावर ने 'मैदानी धरती की तरह है कोरा कागज मेरा, बहती धाराएं उकेरती आँचल सुनहरा' प्रस्तुत की।  पर्यावरणविद बजरंगलाल जेठू ने राजस्थानी गीत 'बहना बोल तो सरी' का सस्वर गान किया। 

सीताराम सोनी ने 'गुरु की महिमा' प्रस्तुत की व प्रकाश जांगिड़ ने 'इतनी खींचातानी है कि लाश की आंख में पानी है' पेश की। वरिष्ठ साहित्यकार रामकुमार तिवारी ने सारगर्भित छोटी-छोटी रचनाएं पेश की। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार राजेश विद्रोही ने किया। 

अंत में साहित्य संगम के अध्यक्ष जगदीश यायावर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्य संगम की साहित्य सेवाओं को विस्तार से पेश  किया। इस मौके पर ललित कुमार वर्मा, श्यामसुंदर बोरायडा, प्रवीण जोशी, जगदीश प्रसाद दौलावत, अशोक दाधीच, द्वारका प्रसाद शर्मा आदि मौजूद रहे।

- रिपोर्ट : जगदीश यायावर


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