ऐसे लगाते हैं बिजली गिरने का पूर्वानुमान

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार न्यूज़) अभी पिछले दिनों बिजली गिरने से राजस्थान में ही 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। सबसे भयावह हादसा जयपुर के आमेर किले के सामने पहाड़ी पर हुआ था, जहां दो बार बिजली गिरने से 11 लोगों की मौत हाे गई थी। अक्सर लोगों में ये सवाल उठता है कि बारिश के मौसम में हर बार बिजली गिरने से लोगों की मौत हो जाती है। क्या यह पता लगाया जा सकता है कि बिजली कब और कहां गिर सकती है? ताकि हमें पहले से पता चल जाए तो जनहानि से बचा जा सके। लोगों के इसी सवाल का जवाब लेने भास्कर जयपुर मौसम विभाग के ऑफिस पहुंचा और वहां मौजूद मौसम वैज्ञानिकों से बात की।

जयपुर मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि अभी तक दुनिया में ऐसी कोई तकनीक नहीं बनी है, जो ये सटीक भविष्यवाणी कर सके कि बिजली कब और किस निश्चित स्थान पर गिरेगी। हां 2 से 3 घंटे पहले ये जरूर फोरकास्ट (पूर्वानुमान) लगाया जा सकता है कि बिजली गिरने की इस एरिया में प्रबल संभावना है। हालांकि, किस भवन या कॉलोनी में या सड़क पर बिजली गिरेगी, यह कहना संभव नहीं है।

एक बड़े क्षेत्रफल को जरूर आइडेंटिफाई कर एक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि इस एरिया में थंडरस्ट्रॉम वाले बादल बन रहे हैं, जिससे बिजली कड़कने की संभावना है। उन बादलों से बिजली गिरेगी या नहीं, यह भविष्यवाणी सटीक नहीं की जा सकती।

ऐसे होता है डेटा एनालिसिस

- मौसम विभाग की ओर से बिजली कड़कने का पूर्वानुमान 2-3 घंटे पहले जारी किया जाता है। इसके लिए यहां मौजूद वैज्ञानिक ग्राउंड बेस सेंसर से मिलने वाले डेटा का उपयोग करते हैं।

- ग्राउंड पर लगे उपकरण से वातावरण में मौजूद नमी, हवा दिशा, गति और टेम्प्रेचर का डेटा लेकर उसका विश्लेषण करते हैं।

- ऐसा ही डेटा ऊपरी वातावरण का लेते हैं और इन दोनों डेटा का एनालिसिस करके उसे सैटेलाइट इमेज पर मर्ज करके सुपरइम्पोज करते हैं। इससे ज्यादा अच्छी इन्फर्मेशन मिलती है और भविष्यवाणी की जाती है।

यूनिफाइड मॉडल से अगले 5 दिन की भविष्यवाणी 

मौसम विभाग अक्सर अगले 4-5 दिन की भविष्यवाणी करता है कि कहां बारिश हो सकती है? तापमान कैसा रह सकता है? हवा की क्या स्थिति रह सकती है। इस भविष्यवाणी के लिए मौसम विभाग यूनिफाइड मॉडल का उपयोग करता है। इस मॉडल में रीजनल और ग्लोबल स्केल पर डेटा लिया जाता है। ये डेटा पूरे वर्ल्ड में एक ही समय पर लिया जाता है। ये डेटा हर तीन घंटे में लिया जाता है और उस डेटा से सिनोप्टिक चार्ट तैयार किया जाता है। इस चार्ट में मुख्य रूप से विंड डायरेक्शन, स्पीड, प्रेशर, ह्यूमिडिटी और ट्रेम्प्रेचर का डेटा होता है।

अलग-अलग समय में बने इन डेटा चार्ट का चार लेयर पर एनालिसिस किया जाता है और अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की जाती है। इन चारों रिपोर्ट्स पर मौसम विभाग में सीनियर साइंटिस्ट के पैनल के सामने रखा जाता है और वहां डिस्कशन होने के बाद तैयार फाइनल रिपोर्ट को फोरकास्ट के रूप में जारी किया जाता है।

एडवांस टेक्नोलॉजी का डॉप्लर रडार सिर्फ जयपुर में

जयपुर मौसम केन्द्र पर एडवांस टेक्नोलॉजी का रडार लगा है, जिसे डॉप्लर रडार कहा जाता है। बताया जा रहा है कि दिल्ली के बाद पूरे भारत में इस तरह का रडार केवल जयपुर में ही है। इस रडार के जरिए बादलों पर निगरानी रखने के लिए लगाया गया है। इससे 300 किलोमीटर का एरिया कवर होता है। बादलों की स्थिति के अलावा बारिश और आंधी के बारे में भी सटीक इंफर्मेशन मिलती है।

ये सी-बैंड कैटेगिरी का एडवांस रडार है, जो ड्यूल पोल तकनीक पर काम करता है यानी इस रडार से निकलने वाली रेंज वर्टिकल के अलावा हॉरिजेंटल भी जाती है। इससे बादलों की जमीन से हाइट के अलावा बादलों की चौड़ाई और मोटाई का भी डेटा मिलता है। इस रडार से मौसम पर निगरानी के लिए 24 घंटे कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है, जो इससे मिलने वाले डेटा पर नजर रखते हैं।

आमेर हादसे के बाद अलर्ट की सार्वजनिक सूचना
प्रदेश के किस क्षेत्र में बिजली गिरने की संभावना है, इसको लेकर पहले कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की जाती थी। जयपुर के आमेर किले के सामने 11 जुलाई को वॉच टॉवर पर बिजली गिरने से 11 लोगों की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना के बाद राज्य सरकार ने मौसम से जुड़ी तमाम सूचनाओं को सार्वजनिक करने का फैसला किया, ताकि आम जन को पता चल सके कि कहां बिजली गिरने की आशंका है और कहां भारी बारिश हो सकती है और कहां तेज आंधी आ सकती है।

मौसम विभाग वॉट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया पर करता है हर सूचना अपडेट
जयपुर मौसम विभाग में वैज्ञानिक हिमांशु शर्मा ने बताया कि हमारी टीम 24 घंटे सिस्टम पर नजर रखती है। हर छोटी से छोटी एक्टिविटी पर निगरानी रखने के बाद उसका फोरकास्ट बनाकर उसे सोशल मीडिया जैसे टि्वटर, फेसबुक और मौसम विभाग की साइट पर हर पल अपडेट किया जाता है। मौसम विभाग जयपुर का ऑफिशियल एकाउंट सोशल मीडिया पर चलता है।

इसके अलावा कृषि विभाग, सिंचाई विभाग, जलसंसाधन विभाग के कई वाट्सएप ग्रुप है, जो जिलेवार बने हुए हैं, उन पर भी हम सभी फोरकास्ट की सूचना रेगुलर डालते हैं। ताकि आम जन के अलावा किसानों को भी ये पता रहे कि आज उनके क्षेत्र में बारिश या मौसम की क्या स्थिति रहने वाली है।


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