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संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी
जयपुर (संस्कार न्यूज़) कांग्रेस के बाद अब भाजपा में भी खेमेबंदी तेज होने लगी है। वसुंधरा राजे खेमा भी अब मुखर होकर सामने आ गया है। भाजपा प्रदेश मुख्यालय के बाहर लगे होर्डिंग में वसुंधरा राजे की फोटो नहीं लगाने के बाद से जुबानी जंग शुरू हो गई है। भाजपा नेता और पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने भास्कर से कहा- "मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि राजस्थान में वसुंधरा राजे जितना बड़ा कद और उतना ही बड़ा मन किसी और नेता का नहीं है। मैं उनके विरोध में भी खड़ा रहा और अब उनके साथ हूं, दोनों अनुभव से कह रहा हूं। वसुंधरा राजे को आगे रखे बिना राजस्थान में भाजपा सत्ता में नहीं आ सकती।"
गुंजल ने कहा- वसुंधरा राजे सर्वमान्य नेता हैं। राजस्थान में दूसरा ऐसा कोई नेता नहीं है, जिसके दम पर सत्ता मिल जाए। पोस्टर हटाना हो या अन्य विवाद हो, सब समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। 2018 के चुनाव से पहले भी यह चर्चा हमारे ही लोगों ने चलाई थी कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दीजिए राजस्थान में भाजपा रिपीट हो जाएगी। आज चाहे वसुंधरा राजे हों, सतीश पूनिया हों या अन्य नेता हों सबका मकसद है कि राजस्थान में भाजपा का राज आए।
भैरो सिंह जैसे कद्दावर नेता भी पूर्ण बहुमत नहीं ला पाए थे, वसुंधरा दो-दो बार प्रचंड बहुमत लाईं
गुंजल ने कहा- अभी राजस्थान भाजपा में मुख्यमंत्री के जितने भी दावेदार हैं वे मुख्यधारा की राजनीति में नहीं रहे। इन दावेदारों पर जनता का उतना भरोसा नहीं है, जितना भरोसा वसुंधरा राजे पर जनता करती है। भाजपा के अभी जितने मुख्यमंत्री के दावेदार हैं उनकी पहचान मेरे जितनी है और कइयों की तो कम ही है। हम जैसे लोगों को आगे करने से भाजपा सत्ता में नहीं आ सकती।
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भैरो सिंह जैसे कद्दावर नेता भी राजस्थान में कभी पूर्ण बहुमत नहीं ला पाए थे, लेकिन वसुंधरा राजे दो-दो बार प्रचंड बहुमत लेकर आईं, इस बात को नजरंअदाज नहीं किया जा सकता। मेरे खुद के वसुंधरा राजे से मतभेद रहे हैं, उतना बड़ा मन और उतना बड़ कद किसी का नहीं है, यह मेरे अनुभव से कह रहा हूं। कल उनके सामने खड़ा था, आसज उनके साथ हूं। आज की तारीख में ऐसा नेता कोई है नहीं है।
प्रहलाद गुंजल ने पिछली बार शांति धारीवाल को हराया, इस बार हारे
प्रहलाद गुंजल फायरब्रांड नेता माने जाते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में गुंजल ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को चुनाव हरवाया था। साल 2018 के चुनाव में गुंजल धारीवाल से हार गए। इससे पहले गुर्जर आरक्षण के मसले पर गुंजल ने भाजपा छोड़ी थी और वसुंधरा राजे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बाद में गुंजल फिर भाजपा में आए,अब वे वसुंधरा राजे खेमे में हैं।
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