आर डी बर्मन ने 9 साल की उम्र में कंपोज किया था पहला गाना

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संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

मुंबई (संस्कार न्यूज़) संगीत के जादूगर राहुल देव बर्मन को, जिसे भारतीय फिल्म जगत  का हर संगीतकार अपना गुरु मानता है, आज बॉलीवुड उनके 72वें जन्मदिन पर याद कर रहा है। पंचम दा के नाम से मशहूर राहुल देव बर्मन ने भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी। छोटी सी उम्र में ही उन्होंने सैकड़ों गाने बॉलीवुड को दिए।

आर डी बर्मन

आर डी बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 को कोलकाता में हुआ। इनके पिता सचिन देव बर्मन भी हिन्दी सिनेमा के बड़े संगीतकार थे, ने बचपन से ही आर डी वर्मन को संगीत की दांव-पेंच सिखाना शुरु कर दिया था। राहुल देव बर्मन ने शुरुआती दौर की शिक्षा बालीगुंगे सरकारी हाई स्कूल, कोलकाता से प्राप्त की। जन्म के समय अभिनेता अशोक कुमार ने नवजात राहुल को बार बार पाँचवा स्वर “पा” दुहराते देखा, तो उन्होंने इनका नाम “पंचम ” रख दिया। आज भी लोग उन्हें पंचम दा के नाम से जानते हैं। केवल नौ साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला संगीत ”ऐ मेरी टोपी पलट के” को दिया, जिसे फिल्म “फ़ंटूश” में उनके पिता ने इस्तेमाल किया। 

छोटी उम्र में ही पंचम दा ने “सर जो तेरा चकराये”  की धुन तैयार कर लिया जिसे गुरुदत्त की फ़िल्म “प्यासा” में ले लिया गया। “प्यासा”  फिल्म का यह गाना आज भी लोगों के जुबान पर सुना जा सकता है। कम उम्र में ही उन्होंने संगीत की अलग कला सीख ली थी। धीरे-धीरे जब राहुल देव बर्मन बड़े होने लगे तब वह एक बड़े और प्रख्यात संगीतकार बन गए। उनके द्वारा बनाए गए संगीत उनके पिता एस डी बर्मन के संगीत की शैली से काफ़ी अलग थे। आर डी वर्मन इंडो वेस्टन संगीत का भी मिश्रण करते थे, जिससे भारतीय संगीत को एक अलग पहचान मिलती थी। लेकिन उनके पिता सचिन देव बर्मन को वेस्टन संगीत का मिश्रण रास नहीं आता था।

आर डी बर्मन ने अपने कॅरियर की शुरुआत बतौर एक सहायक के रुप में की। शुरुआती दौर में वह अपने पिता के संगीत सहायक थे। उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर में हिन्दी के अलावा बंगला, तमिल, तेलगु, और मराठी में भी काम किया है। इसके अलावा उन्होंने अपने आवाज का जादू भी बिखेरा। शोले फिल्म के ‘महबूबा-महबूबा’ गाने को कौन भूल सकता है। इस तरह से उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर कई सफल संगीत दिए, जिसे बकायदा फिल्मों में प्रयोग किया जाता था।

बतौर संगीतकार आर डी बर्मन की पहली फिल्म छोटे नवाब (1961) थी जबकि पहली सफल फिल्म तीसरी मंजिल (1966) थी। आर डी बर्मन ने इसका श्रेय गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को दिया।

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70 के दशक के आरंभ में आर डी बर्मन भारतीय फिल्म जगत के एक लोकप्रिय संगीतकार बन गए। उन्होंने लता मंगेशकर, आशा भोसले, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे बड़े फनकारों से अपने फिल्मों में गाने गवाए। 1970 में उन्होंने छह फिल्मों में अपनी संगीत दी जिसमें कटी पतंग काफी सफल रही.  यहां से आर डी बर्मन संगीतकार के रुप में काफी सफल हुए। बाद में यादों की बारात, हीरा पन्ना, अनामिका आदि जैसी बडी फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया। आर डी वर्मन की बतौर संगीतकार अंतिम फिल्म 1942 लव स्टोरी रही। वर्ष 1994 में इस बड़े संगीतकार का देहांत हो गया.

आर डी वर्मन ने अपने जीवन में भारतीय सिनेमा को हर तरह का संगीत दिया। आज भी लोग उनके संगीत को पसंद करते हैं। आज भी फिल्म उद्योग में उनके संगीत को बखूबी इस्तमाल किया जाता है।

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