इस 'कुसुम योजना' से बढ़ेगी किसानों की आय

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी 

जयपुर (संस्कार न्यूज़) राजस्थान देशभर में कुसुम योजना के क्रियान्वयन में अव्वल है | राजस्थान देश का पहला राज्य बना है, जहां कुसम योजना के तहत बिजली उत्पादन प्रक्रिया शुरू हुई है|

किसानों की आय बढ़ाने, दिन में बिजली उपलब्ध करवाने और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में यह पहल कारगर साबित होगी| राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा संचालित प्रधानमंत्री कुसुम कम्पोनेन्ट-ए योजना के तहत देश के प्रथम सौर ऊर्जा संयंत्र से जयपुर जिले की कोटपूतली तहसील में भालोजी गांव में ऊर्जा उत्पादन शुरू हो गया | इस परियोजना का निर्माण लगभग 3.70 करोड़ रुपये की लागत 3.50 एकड़ भूमि पर किया गया है |

किसान देवकरण यादव के नाम दर्ज उपलब्धि 
राजस्थान के किसान अपनी बंजर एवं अनुपयोगी भूमि पर कुसुम ए योजना के तहत सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की प्रथम परियोजना स्थापित कर राजस्थान देश का प्रथम राज्य बन गया है| किसान देवकरण यादव के नाम यह उपलब्धि दर्ज हुई| राजस्थान सरकार द्वारा बजट घोषणा में प्रदेश में इस योजना के तहत 2600 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसमें से अब तक 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के लिये ‘लेटर ऑफ अवार्ड’ जारी किये जा चुके हैं|

इस परियोजना से अनुमानित 17 लाख यूनिट विद्युत का उत्पादन प्रतिवर्ष होगा| 2600 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन का प्रारंभिक लक्ष्य रखा गया है| 623 किसानों का योजना के तहत अब तक चयन हो चुका है, इनमें से 201 किसान परियोजना सुरक्षा राशि जमा करवा चुके हैं | 170 ने विद्युत क्रय एमओयू भी साइन किए हैं|

ये हैं योजना की बड़ी बातें
किसानों की बंजर जमीन अब निराश नहीं करेगी| खेती के लिए यह जमीन भले ही तैयार नहीं हो लेकिन बिजली उत्पादन का केंद्र यह भूमि बनेगी| मकसद एक हैं किसानों की आय में इजाफा| किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना इसमें मददगार साबित होगी| जयपुर, अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम चिन्हित फीडर्स पर किसानों से बिजली खरीदने की तैयारी हैं| ऊर्जा विभाग ने 722 मेगावॉट क्षमता के आवंटन पत्र जारी किए हैं| इससे 623 किसानों को सीधा लाभ होगा|

किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी
योजना की सबसे बड़ी बात यह है कि प्लांट की कुल लागत में से 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार, 30 प्रतिशत राज्य सरकार देगी| इसके साथ कृषि उपभोक्ताओं को लोन के रूप में 30 प्रतिशत रकम नाबार्ड या अन्य बैंकिंग संस्थान फाइनेंस करेगा| किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी| अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर किसान बची हुई बिजली को बेच कर आर्थिक लाभ भी कमा सकेंगे| वर्तमान में 3.5 किलोवाट प्लांट की रेट 10 प्रतिशत सब्सिडी के बाद भी 2.50 लाख रुपये के करीब पड़ती है|

आवेदन के लिए जरूरी हैं यह चीजें
आवेदन के समय आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरूरी है | आवेदन के बाद सरकार किसान के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी | किसान, डिस्कॉम और बैंक के साथ थर्ड पार्टी एग्रीमेंट होगा| बिजली बेचने से हुई कमाई को दो हिस्सों में बांटा जाएगा| पहला उपभोक्ता का और दूसरा लोन किश्त का| इस पहल से दूर दराज के क्षेत्र में रहने वाले किसानों बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है| वहीं बंजर जमीन से भी आय हो सकेगी|


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