सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का समापन

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी / विजेंद्र सिंह दायमा 

बाय (संस्कार न्यूज़) बाय कस्बे में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा कृष्णलीला, सुदामा चरित व हवन पूजा कर पूर्ण की गई। कथा वाचक पंडित संजय कृष्ण शास्त्री ने कथा वाचन करते हुए कहां की सुदामा चरित में श्री कृष्ण और सुदामा के मिलन, सुदामा की दीन अवस्था व कृष्ण की उदारता का वर्णन किया है। सुदामा का बहुत दिनों के बाद द्वारिका जाना ही  कृष्ण से मिलने के लिए कारण था उनकी पत्नी के द्वारा उन्हें जबरदस्ती भेजा गया उनकी अपनी कोई इच्छा नहीं थी। बहुत दिनों के बाद दो मित्रों का मिलन और सुदामा की दीन अवस्था और कृष्ण की उदारता का वर्णन भी किया गया है। 

किस तरह से उन्होंने मित्रता धर्म निभाते हुए सुदामा के लिए उदारता दिखाई, वह सब किया जो एक मित्र को करना चाहिए। साथ ही में उन्होंने श्री कृष्ण और सुदामा की आपस की नोक-झोक का बड़ी ही कुशलता से वर्णन सुनाया। इसमें उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण अपने मित्रता धर्म का पालन बिना सुदामा के कहे हुए उनके मन की बात जानकर कर देते हैं। मित्र का यह सबसे प्रथम कर्तव्य रहता है कि वह अपनी मित्र के बिना कहे उसके मन की बात और उसकी अवस्था को जान ले और उसके लिए कुछ करें और उदारता दिखाऐं यही उसकी महानता है। कथा के आठवें दिन हवन पूजा की गई तथा नाचते गाते हुए श्रीमद्भागवत गीता को श्रीलक्ष्मी नाथ मंदिर तक पहुंचाया। साथ ही कथावाचक पंडित संजय किशन कृष्ण शास्त्री को विदाई दी गई।

कथा के जजमान गजानंद खांडल ,श्रीकृष्ण जांगिड़ व रामदेव खांडल रहे। द्वारपाल का पात्र शंकरलाल खांडल, गौरी शंकर मिश्रा ने किया तथा सुदामा का पात्र रामचरण पुजारी ने निभाया।

हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

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