सहारा समूह के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ओपी श्रीवास्तव को ED ने किया अरेस्ट

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

लखनऊ (संस्कार सृजन) ईडी ने सहारा समूह के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ओ.पी. श्रीवास्तव को करोड़ों-अरबों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने निवेशकों से भारी भरकम रकम जुटाने में गड़बड़ी की और शेल कंपनियों के जरिए फंड को इधर-उधर किया। सुब्रत रॉय के निधन के बाद सहारा की कई संपत्तियों की बिक्री में भी उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही थी। जांच एजेंसियों को शक था कि उन्होंने इस प्रक्रिया में अनियमितताओं को छुपाने की कोशिश की।

जांच के दौरान 707 एकड़ जमीन की जब्ती के बाद ओ.पी. श्रीवास्तव का नाम सामने आया, जिसके बाद ईडी ने उनके खिलाफ कार्रवाई तेज की। अब गिरफ्तारी के बाद इस पूरे घोटाले की परतें खुलने की उम्मीद है कि आखिर निवेशकों का पैसा कैसे घुमाया गया और किस-किस की इसमें भूमिका रही।

ईडी सूत्रों के मुताबिक ओपी श्रीवास्तव से लंबी पूछताछ की गई, लेकिन उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए। इसके बाद गुरुवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उसी रात उन्हें बैंकशाल कोर्ट में पेश किया गया। शुक्रवार को उन्हें ईडी की विशेष अदालत में दोबारा पेश किया जाएगा। एजेंसी का कहना है कि जांच से जुड़े कई अहम सवालों पर श्रीवास्तव स्पष्ट जानकारी नहीं दे सके।

निजी सचिव ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ खरीदने की पेशकश की :-

कुछ समय पहले ओपी श्रीवास्तव तब भी सुर्खियों में आए थे, जब उनके निजी सचिव और सहारा इंडिया के अधिशासी निदेशक एस.बी. सिंह (प्रहरी) ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ अखबार (लखनऊ संस्करण) को खरीदने की पेशकश कर दी थी।

एस.बी. सिंह लंबे समय तक सहारा अखबार में ‘धर्म-कर्म’ कॉलम लिखते रहे। बाद में मीडिया हेड सुमित राय से नज़दीकी के चलते उन्हें शहर का सलाहकार संपादक बना दिया गया। मामला तब बिगड़ा जब सहारा के उप प्रबंध कार्यकर्ता जेबी राय को इस खरीद प्रस्ताव की जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत समूह संपादक विजय राय से रिपोर्ट मांगी, जिन्होंने साफ कहा कि उन्हें इस पेशकश की कोई जानकारी नहीं थी।

इसके अलावा, एस.बी. सिंह ने यूपी सूचना विभाग से राज्य मुख्यालय पत्रकार मान्यता लेने की भी कोशिश की। ‘राष्ट्रीय सहारा’ के पूर्व संपादक विकास शुक्ला ने उनकी ओर से प्रयास किया, लेकिन तत्कालीन सूचना निदेशक शिशिर सिंह ने इसे खारिज कर दिया। उनका कहना था कि जो व्यक्ति किसी अखबार में सलाहकार संपादक हो और 12–15 लाख रुपये महीना वेतन लेता हो, उसे पत्रकार मान्यता नहीं दी जा सकती।

इसके बाद भी एस.बी. सिंह ने हार नहीं मानी और सहारा चैनल के यूपी प्रमुख आलोक गुप्ता की सिफारिश के साथ दोबारा आवेदन किया, लेकिन मान्यता फिर भी नहीं मिली। जब यह रास्ता भी बंद हो गया, तो उन्होंने सीधे राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ को खरीदने का प्रस्ताव दे दिया। इस कदम से सहारा प्रबंधन खासा नाराज़ हुआ और जेबी राय ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई।

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