बालगंधर्व अकादमी द्वारा राष्ट्रीय बालगंधर्व कला महोत्सव 2025 का हुआ भव्य आयोजन

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

उत्तरप्रदेश (संस्कार सृजन) बालगंधर्व कला अकादमी परिवार, मुंबई ने राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराया | प्रदेश के स्कूली छात्रों ने अपनी कला प्रतिभा दिखाई ।

राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता, भारतीयता की आत्मा और कलात्मक उदात्तता के अद्भुत संगम का एक अविस्मरणीय दृश्य बरेली शहर ने तब देखा जब महाराष्ट्र के सर्वोच्च और प्रतिष्ठित सांस्कृतिक मंच, बालगंधर्व कला अकादमी, मुंबई द्वारा राष्ट्रीय बालगंधर्व कला महोत्सव 2025 का उत्तरप्रदेश संस्करण अत्यंत भव्यता, गरिमा और जन-भागीदारी के साथ सम्पन्न हुआ। जब उद्घाटन समारोह में "जय जय महाराष्ट्र माझा, गर्जा महाराष्ट्र माझा" के स्वर बरेली की हवाओं में गूंजे, तो वहां उपस्थित हर हृदय राष्ट्रभक्ति, संस्कृति और आत्मीयता से भर उठा। यह केवल एक उद्घोष नहीं था, यह भारतीयता की विविधता में एकता का उद्घोष था, उत्तर और पश्चिम भारत की सांस्कृतिक आत्माएं जैसे एकमेक हो गई हों। 

कला केवल प्रदर्शन नहीं, आत्मा की भाषा है: इस दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन हाल ही में उत्तरप्रदेश के ‘सिटी ऑफ झुमका’ बरेली के लोटस कॉलेज परिसर में हुआ, जिसमें बरेली एवं आस-पास के विभिन्न प्रतिष्ठित स्कूलों जैसे एस आर इंटरनेशनल, राधा माधव, जी आर एम, जय नारायण सरस्वती विद्या मंदिर, सक्रेड हार्ट्स एवं माधवराव सिंधिया पब्लिक स्कूल के 150 से अधिक प्रतिभाशाली छात्रों ने भाग लिया। मॉडलिंग, नृत्य, चित्रकला, रंगोली, मेहंदी, स्केचिंग जैसी विधाओं में बच्चों ने न केवल अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि भारत का भविष्य कला और संस्कार दोनों में रत्नगर्भा है।

बालगंधर्व अकादमी एक संस्थान नहीं, एक सांस्कृतिक आंदोलन:-

किशोर कुमार, जो कि बालगंधर्व अकादमी के संस्थापक और प्रेरणास्तंभ हैं, उनका जीवन स्वयं में एक आंदोलन है। उनका उद्देश्य केवल कला को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि उसे सामाजिक बदलाव, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का माध्यम बनाना है।उनका यह दृढ़ विश्वास है कि, "कला की साधना केवल मंच की रोशनी के लिए नहीं होती, बल्कि यह समाज के अंधेरे को दूर करने का उजियारा भी बन सकती है।"

महिला सशक्तिकरण की अग्रदूत:-

कला के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर बालगंधर्व अकादमी में महिला कलाकारों को न केवल प्रशिक्षण, बल्कि सुरक्षा, आत्मरक्षा, मुफ्त छात्रवृत्ति, मानसिक एवं कानूनी सहायता, रोजगार के अवसर और आत्मविश्वास जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं। श्री. किशोर कुमार जी का मानना है: "अगर महिलाओं को सही मंच, दिशा और संरक्षण मिले, तो वे समाज की सबसे सशक्त शिल्पकार बन सकती हैं।" उनकी सोच के अनुरूप अकादमी में महिलाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिनमें उन्हें आत्मरक्षा से लेकर मानसिक शक्ति तक का निर्माण कराया जाता है। यह अकादमी आज भारत में महिला कलाकारों के लिए सबसे सुरक्षित और सम्मानजनक मंच बन चुकी है। "संघर्ष से मत घबराओ, कला तुम्हारा संबल है"। 

युवाओं को संदेश, समारोह में किशोर कुमार ने कहा: "यह मंच केवल हमारा नहीं, उन सभी सपने देखने वाले बच्चों और युवाओं का है जो अपने भीतर कला की चिंगारी लेकर चल रहे हैं। संघर्ष से डरो मत, क्योंकि वही तुम्हें निखारता है।" उन्होंने कलाकारों को यह संदेश भी दिया कि कला केवल पेशा नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है, आत्मा की गहराई से जुड़ा हुआ एक अनुभव, जो व्यक्ति को भीतर से संवारता है और समाज को भी एक नई दिशा देता है। 

बालगंधर्व कला अकादमी के प्रबंध निदेशक किशोर कुमार ने इस अवसर पर कहा, "हमारा उद्देश्य बच्चों को मंच प्रदान कर उनकी कला प्रतिभा को निखारना और उन्हें प्रोत्साहित करना है। हमारी संस्था भारत की सर्वश्रेष्ठ, सबसे विश्वसनीय और सबसे प्रतिष्ठित संस्था है, जो फिल्म, थिएटर और प्रदर्शन कला में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।" 

कार्यक्रम के अंत में अकादमी की ओर से सभी अतिथियों का सम्मान किया गया | यह आयोजन स्थानिक संस्थान लोटस कॉलेज में संपन्न हुआ, साथ ही आयोजन में विशेष भूमिका निभाई और भविष्य में इस महोत्सव को और भव्य रूप में आयोजित करने की घोषणा की। भारतीय टेलीविज़न और रंगमंच के इतिहास में 2025 का यह वर्ष स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। यह वह क्षण था जब भारतीय फिल्म, थिएटर और परफॉर्मिंग आर्ट्स के प्रतिष्ठित संस्थान बालगंधर्व कला अकादमी का कार्य भारत के विभिन्न राज्यों में सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर उसे यथोचित सम्मान दिलाना ही नही बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और समाज में उनके द्वारा किए गए अतुलनीय कार्यों की स्वीकृति है। 

किशोर कुमार एक ऐसी प्रेरणादायक हस्ती हैं जिन्होंने भारतीय मनोरंजन उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने बच्चों, युवाओं, विशेषकर लड़कियों और महिला कलाकारों को एक सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध मंच प्रदान करने के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया है। उनकी संस्था बालगंधर्व अकादमी, सिर्फ एक कला प्रशिक्षण केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय रंगमंच और मनोरंजन उद्योग के लिए एक नई दिशा देने वाला मंच बन चुकी है।

बालगंधर्व अकादमी एक सपना जो हजारों कलाकारों को मिला एक मजबूत आधार:-

आज के दौर में जब कला केवल मनोरंजन तक सीमित मानी जाती है, किशोर कुमार ने इसे समाज सुधार और महिला सशक्तिकरण का माध्यम बना दिया। उन्होंने बालगंधर्व अकादमी के माध्यम से हजारों युवा कलाकारों को सही मार्गदर्शन और अवसर प्रदान किए। उनका मानना है कि, "कला केवल प्रदर्शन का साधन नहीं, बल्कि यह आत्मा की अभिव्यक्ति है। यह वह शक्ति है जो न केवल मनोरंजन देती है, बल्कि समाज को बदलने की क्षमता भी रखती है।" बालगंधर्व अकादमी की विशेषता यह है कि यहां पर संस्कार, संस्कृति और कला का समन्वय देखने को मिलता है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ न केवल अभिनय, नृत्य और संगीत सिखाया जाता है, बल्कि कलाकारों को आत्मनिर्भर बनने के लिए सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त किया जाता है। इस अकादमी ने अभिनय और रंगमंच की दुनिया में हजारों कलाकारों को स्थापित किया है, जिनमें से कई आज फिल्म और टेलीविज़न जगत में एक मजबूत पहचान बना चुके हैं।

भारतीय कला और समाज के लिए एक प्रेरणादायक मील का पत्थर:‘ बालगंधर्व अकादमी यह भारतीय कला और संस्कृति को समर्पित साधकों की साधना का सम्मान है। किशोर कुमार का यह कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है और भारतीय टेलीविज़न तथा रंगमंच के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक सशक्त कदम है। आज जब मनोरंजन उद्योग ग्लैमर और व्यवसायिकता की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में बालगंधर्व अकादमी जैसी संस्थाएँ भारतीय कला की असली आत्मा को जीवित रखे हुए हैं। किशोर कुमार को एवं सर्वश्रेष्ठ बालगंधर्व अकादमी संस्थान के इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मंच के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ! उनका योगदान कला, समाज और महिला सशक्तिकरण के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। उनकी यह उपलब्धि भारतीय कला जगत में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज होगी।

इस आयोजन के निर्णायक और विशेष अतिथि मंडल में शामिल रहे :-

मिस शिवानी बेदी, मिस जूही गुप्ता, मिस शुभी गुप्ता (ज्यूरी), लोटस ग्रुप के चेयरमैन और डायरेक्टर, प्रसिद्ध कोरियोग्राफर अंशुल परासरी, मेकअप आर्टिस्ट्स हुमा खान, हया खान, तान्या सिंह, शीतल सिंह, मासूम मुरादाबादी और सलमान सैम । उन सभी ने बच्चों की प्रस्तुतियों की सराहना की और कहा कि इस तरह के आयोजनों से नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का सशक्त अवसर मिलता है। सम्मान, प्रेरणा और भविष्य का संकल्प: हर भागीदार को सम्मानपत्र, पदक, ट्रॉफी, और "परफॉर्मर ऑफ द डे" जैसे विशेष पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। मंच से ही घोषणा की गई कि अगले वर्ष यह आयोजन और भी भव्य, व्यापक और राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों को छुएगा। एक स्वर्णिम अध्याय, जो भारतीय कला को समर्पित है: आज जब मनोरंजन की दुनिया केवल ग्लैमर तक सीमित होती जा रही है, ऐसे समय में बालगंधर्व अकादमी जैसी संस्थाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि कला समाज की आत्मा है। यह केवल प्रदर्शन का माध्यम नहीं, बल्कि परिवर्तन, समर्पण और समाज निर्माण का सबसे सशक्त औजार है। श्री. किशोर कुमार जी के अथक प्रयासों और दूरदर्शिता से यह सिद्ध हो गया है कि कला और संस्कृति अगर सही हाथों में हों, तो वे राष्ट्रनिर्माण का सबसे सुंदर औजार बन सकते हैं।यह आयोजन केवल एक महोत्सव नहीं था, बल्की यह था भारतीयता की आत्मा, संस्कृति की गरिमा, और समाज के उज्ज्वल भविष्य का आरंभ। अंतिम शब्द: "कलाकार बनना आसान है, लेकिन कला को समाज की सेवा में लगाना ही सच्चा साधक बनाता है।"

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