जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
कानपुर (संस्कार सृजन) भारतीय अध्यात्म जगत में एक ऐतिहासिक क्षण,जब गुरुमाँ करिश्मा शेट्टी का साक्षात्कार ऐश्वर्य शुक्ला उर्फ लक्की से हुआ। यह मिलन न केवल दो विशिष्ट आध्यात्मिक विभूतियों का संयोग था,बल्कि भारत की खोई हुई आध्यात्मिक चेतना को पुनः प्रज्वलित करने की एक नई दिशा की शुरुआत भी है।
गुरुमाँ करिश्मा शेट्टी जिन्हें आधुनिक युग में एक जीवित देवी स्वरूपा के रूप में देखा जाता हैं। उन्होंने एक बार फिर भारत की प्राचीन अध्यात्मिक धरोहर को पुनर्स्थापित करने का संकल्प लिया है। इस मिशन के अंतर्गत उनका सबसे प्रमुख उद्देश्य भगवान शिव के उस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण करना हैं,जो समय के साथ गुमनामी में चला गया था।
गुरुमाँ का स्पष्ट मत है कि वे हर उस स्थान को पुनः जीवंत करेंगी, जहाँ कभी आध्यात्मिक ऊर्जा प्रवाहित होती थी। उनका मानना है कि यह सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि एक युगधर्म हैं।जिसे वे बिना किसी बाहरी समर्थन के भी पूरी निष्ठा से निभाने को तत्पर हैं। उनका उद्देश्य ऐसे ऊर्जा केंद्रों को पुनः प्रज्वलित करना हैं। ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उन दिव्य शक्तियों का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकें।
इस महान कार्य की औपचारिक शुरुआत उत्तरिपुरा में एक विशाल रुद्राभिषेक के आयोजन से हो रही है। क्षेत्र में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण देखने लायक हैं।लोग गुरुमाँ के आगमन की प्रतीक्षा में श्रद्धा से भरकर स्वागत को तत्पर हैं। जिनका यह मानना है कि गुरुमाँ की उपस्थिति मात्र से ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गुरुमाँ करिश्मा शेट्टी, जिन्हें विश्व भर में देवी तुल्य सम्मान प्राप्त है, स्वयं को विनम्रता से एक साधारण साधक मानती हैं।उन्होंने बताया कि “मैं कोई देवी नहीं हूं।एक साधारण इंसान ही हूँ और मेरा उद्देश्य अंधेरे में उजाला लाना हैं।भगवान शिव की कृपा हैं,मैं अपने उद्देश्य में अवश्य सफलता प्राप्त करूंगी।
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