Maa Kalratri नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की होंगी पूजा

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) 4 अप्रैल को नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्रि के सातवें दिन मां के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि का रूप अत्यंत भयानक है, लेकिन माता रानी अपने भक्तों को सभी कष्टों से छुटकारा दिलाती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती है। मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। मां के गले में माला है जो बिजली की तरह चमकते रहती है। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है।

मां की उपासना से हर भय से मिलती है मुक्ति

नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। मां की उपासना से सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है। माता के भक्तों को किसी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। माता अपने भक्तों को सदैव शुभ फल का आशीर्वाद देने वाली हैं। माता का एक नाम शुभंकारी भी है।मां कालरात्रि की उपासना करने के बाद भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। आइए जानते हैं अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविन्द्राचार्य से मां कालरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, शुभ रंग व मंत्र-

मां कालरात्रि को अज्ञानता को नष्ट करने और ब्रह्मांड से अंधकार को दूर करने के लिए जाना जाता है। मां ने दैत्यों का संहार करने के लिए अपनी त्वचा के रंग का त्याग किया। मां कालरात्रि की उपासना के लिए सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि में होता है। मां कालरात्रि का प्रिय रंग नारंगी है, जो तेज, ज्ञान और शांति का प्रतीक है। माता की साधना के लिए मन, वचन, काया की पवित्रता का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। मां की उपासना एकाग्रचित होकर करनी चाहिए। माता के उपासकों को अग्नि, जल, जीव, जंतु, शत्रु का भय कभी नहीं सताता। मां की कृपा से साधक भयमुक्त हो जाता है। माता की आराधना से तेज व मनोबल बढ़ता है। मां को रोली कुमकुम लगाकर, मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। माता की साधना के लिए मन, वचन, काया की पवित्रता का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम का पाठ करें। मां कालरात्रि को गुड़ व हलवे का भोग लगाएं।

मां कालरात्रि का स्वरूप: मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां की श्वास से आग निकलती है। मां के बाल लंबे व बिखरे हुए हैं। मां कालरात्रि के चार हाथ न तीन नेत्र हैं। एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे में वरमुद्रा व चौथा अभय मुद्रा में है।

मां कालरात्रि पूजन के शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 ए एम से 05:22 ए एम

प्रातः सन्ध्या - 04:59 ए एम से 06:08 ए एम

अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:49 पी एम

विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 06:39 पी एम से 07:02 पी एम

सायाह्न सन्ध्या- 06:41 पी एम से 07:49 पी एम

अमृत काल- 07:33 पी एम से 09:07 पी एम

मां कालरात्रि पूजा विधि- मां कालरात्रि की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां कालरात्रि की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें। मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। रोली, कुमकुम आदि अर्पित करें। मां को मेवा, मिष्ठान व फलों का भोग लगाएं। मां कालरात्रि को शहद का भोग जरूर लगाना चाहिए।

मां कालरात्रि का भोग: मां कालरात्रि को गुड़ अतिप्रिय है। ऐसे में नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा को गुड़ अर्पित करना चाहिए।

नवरात्रि के सातवें दिन का शुभ रंग- मां कालरात्रि को लाल रंग अतिप्रिय है। ऐसे में मां की पूजा के दौरान लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना गया है।

मां कालरात्रि मंत्र-

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

-ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:

-एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

-या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां कालरात्रि आरती-

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।

काल के मुह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।

महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।

महाकाली है तेरा पसारा ॥

खडग खप्पर रखने वाली ।

दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।

सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥

सभी देवता सब नर-नारी ।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।

ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें ।

महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह ।

कालरात्रि माँ तेरी जय ॥

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