जल ही मनुष्य का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है - पर्यावरण मित्र अशोक पाल सिंह

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी        

जयपुर (संस्कार सृजन) पृथ्वी, जल, पावक गंगन, समीरा, पंच तत्व का बना अधम सरीरा ॥  शिक्षक पर्यावरण मित्र अशोक पाल सिंह ने बताया कि ऋग्वेद में जल को अमृत के समान माना गया। जल औषधि, जल चिकित्सा, दिव्य अमृत, ईश्वरीय वरदान एवं प्राकृतिक संसाधन है।ऋग्वेद में जलम् सबका जनक अर्थात परमात्मा का नाम जल है। वैज्ञानिक दृष्टि से जल ही मनुष्य का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मनुष्य के शरीर में लगभग 70 प्रतिशत जल पाया जाता है। जल का वैज्ञानिक नाम हाइड्रोजन ऑक्साइड है। इसका रासायनिक सात्र H₂O है। ऑकसीजन के एक परमाणु तथा हाईड्रोजन के दो परमाणु से H₂O, अर्थात जल का एक अणु बनता है।

हिन्दू धर्म संस्कृति में जल ही जीवन है भारतीय दुष्ठि कोण के अनुसार सृष्ठि का विकास जल से ही प्रारम्भ माना जाता है। प्राचीन काल में गाँव एवं बस्तियाँ नदी के तट पर बस्ती थी। जहाँ पर तीर्थ बन गये। नदियों से सुगम जल मार्ग से आगमन का सम्पर्क मार्ग था। धर्म एवं संस्कृति कृषि प्रधान देश नदी सभ्याता की पहचान सिन्धु नदी थी ।

जल संरक्षण हेतु भारत सरकार द्वारा प्रमास जल जीवन मिशन, प्रधानमन्त्री कृषियोजना, फसल अभियान, अमृत सरोवर योजना, अटल भूजल योजना, नमामि गंगे योजना संचालित किं जा रही है। जल संरक्षण विधियाँ बावडी, झील, तालाब, नाडी ढाका, दोबा बेरी, जल संरक्षण बाध, बाढ का प्रबन्ध द्वारा गतिविधियां द्वारा जग संरक्षण किया जा सकता है।

सुझाव धार्मिक कर्म काण्ड पूजा सामग्री पॉलीथिन प्लास्टिक की बोतल मैली नदियों, तालाबों में डाली जाती है। जिसके कारण जल दूषित प्रदूषित होता है गाँव से तालाब एवं भारत से वैदिक कालीन सरस्वती नदी विलुप्त हो चुकी। वर्तमान भारतीय नदियों का अस्तित्व खतरे में है।

प्रत्येक नागरिक को जागरुक होना चाहिए। अपनी दैनिक दिनचार्य एवं गतिविधियाँ प्रतिदिन जल संरक्षण एवं जल बचाओ-जीवन बचाओ से शुभ आरम्भ करें। आवश्यकता अनुसार जल का प्रयोग करें। ऐसी स्थिति में सरकार और आम जनता दोनों के लिए चिन्तन का विषय है। एक सार्थक पहल करनी होगी। देश निर्माण कर्म है के जल बचाओ धर्म है। शिक्षा से ज्ञान-पानी से प्राण बूंद बूँद से सागर बनता है।

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