जन सहयोग से प्रसिद्ध मूर्तिकार अर्जुन लाल वर्मा ने बनाया आदर्श शिवगंगा मोक्ष धाम

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

चौमूं / जयपुर (संस्कार सृजन) चौमूं क्षेत्र के गोविंदगढ़ कस्बे के स्वर्गीय राम गोपाल कानूनगो खेल स्टेडियम, कालाडेरा रोड पर स्थित गोचर भूमि पर विकसित किए गए "शिव गंगा मोक्ष धाम" प्रकृति, भारतीय संस्कृति एवं हिंदू देवी देवताओं को समर्पित एक देवस्थली के रूप में विकसित किया गया है । इस शिवगंगा मोक्षधाम, गोविंदगढ़ को एक रमणीय देव स्थल के रूप में विकसित करने का मास्टर प्लान देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार अर्जुन लाल वर्मा सीरवाली कोठी, गोविंदगढ़ ने तैयार कर उसे मूर्त रूप देने का बीड़ा उठाया है । इस मोक्ष धाम के विकास में 5 समाजों जिनमें कुमावत, सेन, जांगिड़, बंजारा और गवारिया का सहयोग प्राप्त हो रहा है उन्हीं के परिजनों को यहां अंतिम संस्कार के लिए लाया जाता है । जहां प्रकृति, संस्कृति तथा बेजुबान परिंदों के लिए प्रेम का सजीव रूप दिखाई परिलक्षित होता है ।

देवस्थली के रूप में विकसित हो रहा है शिवगंगा मोक्ष धाम - सामान्यता शमशान घाट अथवा मोक्ष धाम का नाम लेते ही वहां अव्यवस्थाओं को देखकर, अंधविश्वास, भूत आदि का भ्रम भरी बातें सुनकर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है अथवा अंधविश्वास के तौर पर भूत प्रेत होने और कच्ची आत्माओ को सेने जैसे भ्रम भरी डरावनी चर्चाएं सुनने को मिलती  है । लेकिन, शिवगंगा मोक्ष धाम में ना केवल सैकड़ों प्रजाति के छायादार, फलदार और औषधीय महत्व के पेड़ पौधे और जड़ी बूटियां लगाई गई हैं, बल्कि वहां पर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए आने वाले परिवारजनों व शुभचिंतकों के लिए छाया में बैठने की उत्तम बैठक व्यवस्था, स्नान करने की व्यवस्था और सुलभ शौचालयो की व्यवस्था की गई है । मोक्ष धाम में भगवान भोलेनाथ का दिव्य और भव्य स्टेचू विकसित किया गया है जिनकी जटाओ से निरन्तर जलधारा और गोमुख से अमृत जल धारा प्रवाहित होती रहती है और पास में ही तपस्या अवस्था में शिव भक्ति में लीन मां पार्वती का स्टेचू, क्षेत्र में होने वाली अकाल मौतों के अवरोधक का प्रतीक काल भैरव का स्टेचू और भगवान गरुड़ की प्रतिमाएं लगाकर, इसे एक पंचवटी या देवस्थली का रूप दिया गया है ।

स्वच्छता संदेश का आदर्श मॉडल है शिवगंगा मोक्षधाम गोविंदगढ़ - सामान्यतः शमशान भूमि और वहां के मोक्ष स्थल अव्यवस्थाओं और कुप्रबंधन के शिकार हुए मिलते हैं । जहां पर ना मृत आत्माओं को प्रतिकूल मौसम में जलाने की माकूल व्यवस्था होती है, ना ही लकड़ी की व्यवस्था और ना ही बैठक व्यवस्था सुलभ हो पाती है।हालांकि, सरकारे लाखों रुपए का बजट इसमें खर्च करने का दावा करते हैं, लेकिन फिर भी उनके टीन सेड टूटे हुए या क्षत-विक्षत अवस्था में, खरपतवार और कटीली झाड़ियों वाले स्थल के रूप में ही देखने को मिलते है । वहीं दूसरी ओर समाज के सामूहिक प्रयास और जन सहयोग से शिवगंगा मोक्ष धाम में मृत आत्मा के दाह संस्कार के बाद शेष बचने वाले सेतु अथवा अवशेषों को एक निश्चित स्थान पर रखवाने की व्यवस्था, दाह संस्कार वाले स्थल की उत्तम सफाई व्यवस्था और सूखी लकड़ी की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है । इस पुनीत और पवित्र कार्य के लिए समाज के लोग सतत रूप से निस्वार्थ भाव सेवा कार्य करते हैं । 

प्रकृति प्रेम का उत्तम उदाहरण है शिवगंगा मोक्ष धाम - पर्यावरणविद शिक्षक एवं तरुण जन कल्याण संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश सामोता रानीपुरा ने बताया कि शिवगंगा मोक्ष धाम, गोविंदगढ़ का विकास सड़कों के मलवे अथवा अपशिष्ट सामग्री से तैयार किया गया है, जिसमें मोक्ष प्राप्त करने वाले आत्माओं के अंतिम संस्कार पद्धति में काम में आने वाले विभिन्न मिट्टी के मटके से ही बेजुबान परिंदों के लिए सैकड़ों परिंडे लगाए गए हैं, जिसमें वहां के स्वयंसेवक लगातार पानी और दाना आपूर्ति करवाने की जिम्मेदारी का निर्वहन रहते हैं । वही अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले परिजनों के स्नान के बाद बहने वाले जल को सहेजने के लिए नाली तंत्र व ड्रिप सिस्टम  के माध्यम से सभी पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, जो एक जल को सहेजने का आदर्श मॉडल है तथा मोक्ष धाम में सैकड़ों प्रजाति के छायादार, फलदार, सजावटी और औषधीय में धूप के पौधों का रोपण कर प्रकृति प्रेम का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है । इस प्रकार शिवगंगा मोक्ष धाम प्रकृति, भारतीय संस्कृति तथा हिंदू देवी देवताओं को समर्पित धाम है । इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि इस मॉडल को संपूर्ण राजस्थान में लागू करें । 

सरकारें मदद करे तो मोक्ष धामों का हो कायाकल्प - गोविंदगढ़ निवासी यतींद्र कुमार वर्मा सहायक प्रोफेसर जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, जयपुर का कहना है कि राज्य सरकार को चाहिए की मोक्ष धामो के प्रति नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने के लिए, इनके विकास के लिए सरकार को पर्याप्त बजट देकर, इन्हें सुविधा संपन्न कर विकसित किया जाना चाहिए । मोक्ष धाम में लगाए गए पेड़ पौधों और बेजुबान परिंदों के लिए पेयजल और दाने की व्यवस्था करने वाले सत्यनारायण कुमावत व बिरदीचंद जांगीड ने बताया कि मृत आत्माओं के दाह संस्कार के लिए राज्य सरकार को निशुल्क सूखी लकड़ी तथा उनके रखरखाव की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए ।

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