किसानी से जुड़ी वीर कोम अहीर रेजिमेंट की मांग पूरी करें केंद्र सरकार:झाझडिया

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

चौमूं / जयपुर (संस्कार सृजन) भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट की मांग काफी लंबे समय से की जा रही है। एक बार फिर से इस मांग को आज जयपुर में होने वाली अहीर जनजागृति  सभा में उठाकर इसे चर्चा में ला दिया है।  जानकारी के अनुसार 1962 के युद्ध में अहिरों के शौर्य और बहादुरी को याद करते हुए  सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग को आगे बढ़ाया है। अहीर रेजिमेंट की बात करें तो अहीर रेजिमेंट की मांग के इतिहास पर नजर डालें तो अहिरवाल क्षेत्र के जवानों ने सेना में अपना काफी योगदान दिया है। अहरिवाल क्षेत्र दक्षिणी हरियाणा के जिले रिवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम में आता है, इसका खास संबंध राव तुला राम से है, जिन्होंने 1957 की क्रांति में अपने शौर्य का परिचय दिया था। इसी क्षेत्र से अहीर रेजिमेंट की सबसे पहले मांग उठी थी, जिसके बाद इस मांग को अहीर आबादी वाले क्षेत्रों ने आगे बढ़ाया।

1962 के युद्ध में योगदान :-

जिस तरह से 1962 के युद्ध में अहीर सैनिकों ने रेजंग ला में अपना शौर्य दिखाया उसे कोई नहीं भूल सकता है। इस कंपनी के अधिकतर जवान 13वीं बटालियन में अहीर थे, जिन्होंने चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया। अहीर समुदाय के सदस्य लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि सेना में एक अलग अहीर रेजिमेंट होनी चाहिए। 1962 युद्ध के 61 वर्ष पूरे होने के मौके पर 2023 में एक बार फिर से इस मांग को आगे बढ़ाया गया। कई  राजनीतिक दलों ने भी इस मांग को आगे बढ़ाते हुए इसे बल दिया।

कैसे शुरू हुई अहीर रेजिमेंट की मांग :-

अहीर जवानों को अलग-अलग रेजिमेंट में भर्ती किया जाता है। उन्हें कुमायूं, जाट, राजपूत और अन्य रेजिमेंट में अलग-अलग जाति के जवानों के साथ भर्ती किया जाता है। उन्हें ब्रिगेड ऑफ गार्ड, पैराशूट रेजिमेंट, आर्मी सर्विस कॉर्प, आर्टिलरी इंजीनियर, सिग्नल्स में भर्ती किया जाता है। अहिरों को शुरुआत में 19वें हैदराबाद रेजिमेंट में भर्ती किया गया। इस रेजिमेंट में पहले यूपी के राजपूतों और दक्षिण के मुसलमानों व अन्य जाति के लोगों को भर्ती किया जाता था। वर्ष 1902 में निजामों से जुड़ी रेजिमेंट को ब्रिटिश बेस के तौर पर स्थायी रूप से बनाया गया। 1922 में 19 हैदराबाद रेजिमेंट को बदलकर डेक्कन मुस्लिम में तब्दील किया गया। 1930 में इसमे कुमांयूनी, जाट, अहिर और अन्य जाति के कुमांयूनी, जाट, अहिर और अन्य जाति के लोगों को शामिल किया गया। 

लंबे अरसे से चली आ रही  अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर देश के कोने कोने से सभी राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल रहा है केंद्र सरकार को रेजिमेंट की मांग  पूरी करनी चाहिए |

लेखक : कालूराम झाझड़िया (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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