कोरोना के कारण विधवा हुई महिलाओं तथा निराश्रित असहाय बालक बालिकाओं को मिलेगी सहायता

 जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार न्यूज़) राज्य सरकार ने आदेश जारी कर कोविड-19 महामारी से विधवा हुई  महिलाओं तथा निराश्रित, असहाय बालक-बालिकाओं को विभिन्न तरह की राहत प्रदान की है। राज्य सरकार द्वारा इन्हें डे एनयूएलएम योजना के अंतर्गत संचालित आश्रय स्थलों में आश्रय प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं। 

स्थानीय निकाय निदेशक दीपक नंदी ने बताया कि कोरोना महामारी से माता-पिता दोनों की अथवा एकल जीवित की मृत्यु होने के कारण हुए अनाथ बच्चों को  पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन के अतिरिक्त मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना के अंतर्गत भी लाभ दिया जाना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त इन अनाथ बालक -बालिकाओं की तत्काल आवश्यकता के लिए 1 लाख रु का अनुदान तथा 18 वर्ष तक प्रतिमाह 2500 रुपये  की सहायता दी जाएगी। इन अनाथ बच्चों को 18 वर्ष पूर्ण होने पर 5 लाख रुपये की सहायता तथा 12वीं तक निःशुल्क शिक्षा आवासीय विद्यालय अथवा छात्रावास के माध्यम से दी जायेगी।


नंदी ने बताया कि कोविड-19 से अनाथ हुई कॉलेज में अध्ययन करने वाली छात्राओं को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में प्राथमिकता से प्रवेश दिया जायेगा। साथ ही कॉलेज छात्रों के लिए आवासीय सुविधाओं हेतु श्अंबेडकर डी.बी.टी. वाउचर योजना का लाभ दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि अनाथ हुए युवाओं को मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के अंतर्गत प्राथमिकता से बेरोजगारी भत्ता दिये जाने के लिए समस्त नगर निकाय के आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।


उन्होंने बताया कि कोविड-19 की महामारी में विधवा हुई महिलाओं के लिए 1 लाख रुपये एक मुश्त राशि तथा 1500 रुपये प्रतिमाह विधवा पेंशन प्रदान की जाएगी। विधवा महिलाओं के बच्चों को एक हजार रूपये प्रति बच्चा  प्रति माह तथा विद्यालय की पोशाक व पाठ्यपुस्तकों के लिए सालाना 2000 रुपये का लाभ दिया जायेगा। उन्होंने समस्त नगर निकाय के आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि पात्र बालक-बालिकाओं एवं विधवा महिलाओं को चिन्हित कर राज्य सरकार की योजनाओं से लाभान्वित करावें।
 
नंदी ने कहा कि इसके अतिरिक्त निराश्रित हुए अनाथ बालक- बालिकाओं एवं विधवा महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें डे-एनयूएलएम योजना के अंतर्गत संचालित स्थाई आश्रय स्थलों में आश्रय प्रदान करवाया जाए एवं निकाय में संचालित इंदिरा रसोई के माध्यम से प्रतिदिन निःशुल्क भोजन उपलब्ध करावें। यदि निकाय में डे- एनयूएलएम योजना के अंतर्गत स्थाई आश्रय स्थल नहीं हो तो निकटतम निकाय में संचालित आश्रय स्थलों में बालक/बालिकाओं एवं विधवा महिलाओं को ठहरने की व्यवस्था करवाई जाए।
 
उन्होंने कहा कि चिन्हित विधवा महिलाओं के रोजगार के लिये बैंक ऋण एवं कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने ऎसे अनाथ बालक- बालिकाओं एवं विधवा महिलाओ को चिन्हित कर इसकी सूचना निदेशालय को देने के भी निर्देश दिए हैं।


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