दर्शकों को तरसता राजस्थानी सिनेमा - रवि दोसोदिया

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !


मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !


संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी / गोविंद सैनी 


जयपुर @ (संस्कार न्यूज़ ) जाने माने लेखक और निर्देशक रवि दोसोदिया ने बताया की आज राजस्थानी सिनेमा  बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा हैं । आज जो राजस्थानी फिल्मे बन रही हैं उनमे ना तो कोई टेक्नीक देखाई दे रही हैं ,ना क्वालिटी हैं और ना ही कहानी में कोई दम। जिसके  कारण आज दर्शक राजस्थानी फ़िल्मो से दूर भाग रहा है ।



आज के दौर की बात करे,तो कुछ लोग शादी ब्याह में प्रयोग होने वाले वीडियो कैमरे से राजस्थानी फिल्मे बना रहे हैं जो बहुत गलत हैं । ऐसे लोगो ने भी राजस्थानी सिनेमा को नुकसान करने में कोई कसर नही छोड़ी हैं । समजौता करना चहाऐ ,लेकिन जब बात राजस्थानी फ़िल्मो के विकास की हो ,राजस्थानी फिल्मे बनाने की हो तो क्वालिटी और टेक्नीक से कभी भी समजौता नही करना चहाये । हाँ अगर कोई कोई फिल्ममेकर शार्ट फ़िल्म ,म्यूजिक एल्बम  बना रहा है तो ऐसे कैमरे का प्रयोग किया जा सकता है ।


आज कुछ नये फ़िल्ममेकर हैं जो नये हैं स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाले हैं  और कुछ करना चहाते हैं ,लेकिन उनके  पास संसाधन की कमी है ,तो ऐसे लोग अपने मोबाइल से भी अच्छी शार्ट फिल्मे बना रहे हैं तो इसमे कोई बुरी बात नही हैं । ये नये फ़िल्ममेकर के लिए आगे बढ़ने का रास्ता है जो सही है ।



अगर हम बात करे आज से 20  से 25 साल पहले की राजस्थानी फ़िल्मो के बारे में चाहे वो फिल्मे  (बाई चाले  सासरिये ,भोमली ,रमकुड़ी -झमकूडी ) और भी  बहुत सारी सफ़ल फिल्मे हैं जहाँ इन राजस्थानी फ़िल्मो को दर्शको ने पसंद किया और सराहा भी । फ़िल्मो की कहानी पर बात करे तो  चाहे वो फ़िल्म हिंदी की हो ,मराठी हो ,पंजाबी हो या फ़िर राजस्थानी फिल्मे ही क्यों ना हो दर्शक हमेशा  से ही उसको पसंद करता  था ,करता हैं  और आगे भी करता रहेगा ।


राजस्थान  सरकार की उदासीनता भी कहीं ना कहीं राजस्थानी फ़िल्मो के पतन के कारणों में से एक है । जो आज तक राजस्थानी  फ़िल्मो के  विकास , प्रचार  प्रसार के लिए कोई ठोस पॉलिसी बना पाने में नाकाम रही है ।राजस्थानी फ़िल्मो की  फाइले एक विभाग से दूसरे विभाग  में चक्कर कटती रहती हैं । एक सरकार जाती  है तो दूसरी सरकार  आ जाती  है | वो  फाइले फिर ठन्डे बस्ते में चली जाती हैं । हाँ दिखावे के लिए सरकार  राजस्थानी फ़िल्मो को 10 लाख तक का अनुदान जरूर दे रही है , लेकिन इससे राजस्थानी फ़िल्मो के विकास में कोई खास गति नही मिल रही है ।


अब आप लोग ही बताइये क्वालिटी से समझोता करके  कोई राजस्थानी फिल्मे बनायेगा तो दर्शक सिनेमा हाल तक कैसे आयेगा । आज जो राजस्थानी फिल्मे बनकर आ रही हैं ,जनता सब जानती हैं ,सब समझती हैं  की वो फिल्मे कितने में बनी है । आज हम लोग 21 वीं सदी में जी रहे हैं | फ़िल्मो की बात करे तो आज  टेक्नीक  बहुत ज्यादा विकसित ही चुकी है ।राजस्थान की सरकार की भी एक सीमा है राजस्थानी  फ़िल्मो को सपोर्ट  करने की । बहुत से लोगो को ये शिकायत है की राजस्थानी फ़िल्मो को कोई प्रोड्यूसर नही मिलता है तो में उनके लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही  बात कहना चाहूँगा की  कोई  घटिया राजस्थानी फ़िल्म की कहानी लेकर प्रोड्यूसर के पास जायेगा तो वो भी आखे बंद करके फ़िल्मो पर पैसा नही लगायेगा | डूबते जहाज़ पर सफर करना कोई नही चाहेगा ।


रवि दोसोदिया ने बताया की आने वाले समय में हमारे प्रोडक्शन हाउस रवि क्रिएशनस के बैनर तले राजस्थानी फ़िल्म का निर्माण किया जायेगा । जहाँ टेक्नीक और क्वालिटी से समझोता नही किया जायेगा ।


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें|


" संस्कार न्यूज़ " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |



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