दे‌वउठनी एकादशी कब है, 1 या 2 नवंबर किस तारीख को रखें व्रत

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

जयपुर (संस्कार सृजन) चार महीने की योग निंद्रा के बाद 1 नवंबर को भगवान श्री हरि जाग जाएंगे। इस साल छह जुलाई को देवशयनी एकादशी से भगवान चार महीने की योग निंद्रा में चले गए थे। उनकी नींद कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी जिसे प्रबोधिनी, देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, को टूटती है।


इस दिन भगवान को शाम के समय जगाया जाता है। उनके लिए रंगोली सजाई जाती है और मौसमी फल और सब्जियों को अर्पित कर उन्हें गायन करके जगाया जाता है। गन्ने, मौसमी फलों को सजाकर उनपर सूप ढ़क दें, फिर दीपक जलाएं और ऊठो देव जागो देव,गीत गाकर विष्णु जी को जगाएं। ऐसी मान्यता है कि भगवान को भक्त इस दिन गीत, वाद्य और आरती आदि से जगाते हैं। प्रबोधनी एकादशी के साथ ही सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है, जो प्रदोष काल में होता है, तुलसी विवाह 1 नवंबर को किया जाएगा, क्योंकि इस दिन एकादशी का प्रदोष काल मिल रहा है।

ज्योतिर्विद के अनुसार किस दिन एकादशी व्रत :-

अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविन्द्राचार्य के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि का आरंभ एकादशी तिथि 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी और एकादशी तिथि का समापन 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगा। इस कारण से उदयकालिक स्थिति में एकादशी तिथि 1 नवंबर दिन शनिवार को प्राप्त हो रही है। प्रबोधिनी एकादशी व्रत का मान सबके लिए 1 नवंबर दिन शनिवार को होगा। 1 नवंबर एकादशी के दिन संपूर्ण विश्व के पालन करता श्री हरि विष्णु जी काव्य दिवस पूजन अर्चन करके योग्य निद्रा से जगाया जाएगा। पुराणों में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। इस दिन आप अन्न ना खाएं और चावल का त्याग करें। ऐसा कहा जाता है कि जो इस दिन निराहार रहकर उपवास करता है, वो मोक्ष को पाता है। यह एकादशी बड़ी एकादशी में से एक मानी जाती है, इस दिन से आप एकादशी व्रत शुरू कर सकते हैं और समाप्त भी कर सकते हैं।

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